छह महीने में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी वैक्सीन, 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण के बाद कोरोना का असर हो जाएगा खत्म

छह महीने में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी वैक्सीन, 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण के बाद कोरोना का असर हो जाएगा खत्म

नई दिल्ली । देश में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान शनिवार से शुरू हो रहा है। पहले चरण में प्राथमिकता वाले समूहों के तीन करोड़ लोगों को टीके लगाए जाएंगे, इनमें डॉक्टर, नर्स, अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले योद्धा शामिल हैं। इसके बाद 27 करोड़ ऐसे लोगों को वैक्सीन दी जाएगी, जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है या जो पहले से ही कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं। आम लोगों को वैक्सीन के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। कोरोना वैक्सीन को लेकर गठित टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. वीके पॉल का मानना है कि इन 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण के साथ ही कोरोना का घातक असर खत्म हो जाएगा। कोरोना से मृत्युदर शून्य हो जाएगी। इन लोगों के टीकाकरण के बाद ही आम लोगों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो सकेगी। कोरोना महामारी से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर डॉ. पॉल से दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता नीलू रंजन की बातचीत के अंश…

त्योहारी सीजन बीतने और सर्दी के बावजूद कोरोना के नए मामले लगातार कम हो रहे हैं। क्या देश में हर्ड इम्युनिटी आ गई है? अगर हां तो ऐसी स्थिति में टीकाकरण की कितनी जरूरत है?

हर्ड इम्युनिटी को हम अंदाज से कंफर्म नहीं कर सकते हैं। हो सकता है हो गई हो, लेकिन इसको कंफर्म करने के लिए सीरो सर्वे की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। दिसंबर में हुए तीसरे सीरो सर्वे के नतीजे अगले हफ्ते मिल जाएंगे। तब स्थिति साफ हो पाएगी, लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि सारे देश में हर्ड इम्युनिटी की स्थिति एक समान नहीं होगी। जिन शहरों में सीरो सर्वे हुए उनमें हर्ड इम्युनिटी के संकेत नहीं मिले। दिल्ली में पहले, दूसरे और तीसरे सीरो सर्वे में वायरस का संक्रमण बढ़ता हुआ दिखा, लेकिन चौथे सीरो सर्वे में यह कम हो गया, जबकि उस दौरान नए मामले तेजी से ब़़ढे थे। ऐसे में टीकाकरण की आवश्यकता है।

सीरम इंस्टीट्यूट के पास 10 करोड़ वैक्सीन की डोज तैयार है। वह 10 करोड़ डोज हर महीने बनाने का एलान कर चुका है। बड़ी मात्रा में वैक्सीन की उपलब्धता के बावजूद वैक्सीन सिर्फ प्राथमिकता वाले समूहों को ही क्यों दी जा रही है?

हमें जो वैक्सीन अगले छह-सात महीनों तक उपलब्ध होगी, उसको देखकर योजना बनाई गई है। शुरू में 1.65 करोड़ डोज का पहला ऑर्डर दिया गया है। 30 करोड़ लोगों के लिए लगभग 65 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी और सभी कंपनियों के वैक्सीन उत्पादन की क्षमता के आधार पर पूरी योजना तैयार की गई है। इसके साथ ही सहयोगी देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को भी इसमें ध्यान में रखा गया है। इन 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगने के बाद देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या जीरो तक पहुंच जाएगी।

आम लोगों के लिए खुले बाजार में वैक्सीन कब से उपलब्ध होने लगेगी?

उम्मीद है कि अगले छह महीने में ऐसी स्थिति आ जाएगी कि आम लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराई जा सके।

प्रधानमंत्री ने कहा है कि तीन करोड़ लोगों को वैक्सीन मुफ्त मिलेगी, बाकी 27 करोड़ प्राथमिकता वाले समूहों को भी मुफ्त में वैक्सीन दी जाएगी या नहीं?

सरकार ने अभी इस पर कोई फैसला नहीं किया है, हमें इंतजार करना चाहिए।

भारत बायोटेक की वैक्सीन को सबसे बढ़िया माना जा रहा है, लेकिन कुछ लोगों की तरफ से इसको लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं?

मेरा सिर्फ ये कहना है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों को इमरजेंसी उपयोग की अनुमति वैज्ञानिक मापदंडों पर खरा उतरने के बाद दी गई है। हम सामान्य स्थिति से नहीं गुजर रहे हैं। विदेश में भी फाइजर, मॉडर्ना समेत जितनी वैक्सीन हैं, उनके इमरजेंसी उपयोग की ही अनुमति मिली है। सभी का परीक्षण भी चल रहा है। हमें यह भरोसा होना चाहिए कि ये फैसले राष्ट्रहित में लिए गए हैं।

ब्रिटेन से कोरोना वायरस का नया स्वरूप आ गया है, इससे निपटने के लिए हम कितने तैयार हैं?

पहले म्यूटेशन से डर भी लगा, भारत में इसके 100 से अधिक मामले भी मिल चुके हैं, लेकिन संक्रमण की संख्या में कमी का जो ट्रेंड चल रहा है, उससे ऐसा नहीं लगता है कि इसका कोई असर प़़डा है। ब्रिटेन जैसी संक्रामक स्थित यहां नहीं हुई है।

वैक्सीन तो आ गई, कोरोना के खिलाफ नई दवा विकसित करने की स्थिति क्या है?

नई दवाइयों में बहुत कम विकल्प सामने आए हैं। डेक्सामिथासोन पर पूरी दुनिया में हुए ट्रायल में अच्छे रिजल्ट आए। रेमडेसिविर के कुछ अच्छे और खराब यानी मिलेजुले नतीजे आए हैं। इनके अलावा कोई विकल्प नहीं मिला है। डॉक्टरों ने इलाज के दौरान जो सीखा उसी से कोरोना से बचने में बड़ी सहायता मिली है। पुरानी पद्धतियों की टाइमिग ठीक करके मृत्युदर को कम करने में सफलता मिली है।

स्पाइक प्रोटीन में 23 म्यूटेशन हो चुके हैं, ऐसे में स्पाइक प्रोटीन पर आधारित वैक्सीन का भविष्य क्या है?

आज तक यही लग रहा है कि स्पाइक प्रोटीन पर आधारित सभी वैक्सीन काम कर रही हैं। आगे क्या होता है यह कोई नहीं कह सकता।

बिहार में कोरोना वायरस का प्रकोप दूसरी राज्यों की तुलना में कम रहा?

बिहार में कोरोना को लेकर इस प्रतिरोधक क्षमता की क्या वैज्ञानिक वजह है?

ये सही है कि बिहार में चुनाव भी हुए, आबादी का घनत्व भी ज्यादा है और ब़़डी संख्या में प्रवासी मजदूर भी वहां पहुंचे। इसके बावजूद वहां कोरोना की महामारी का प्रकोप उतना ज्यादा नहीं हुआ। इसका हमारे पास कोई सीधा जवाब नहीं है। इसकी व्याख्या करना हमारे लिए भी एक चुनौती है। इस पर शोध होना चाहिए, इससे कोरोना को समझने में भी हमें मदद मिलेगी।

भारत को दो वैक्सीन तो सस्ती मिल गईं, लेकिन आने वाली वैक्सीन भी इतनी सस्ती मिलेगी या नहीं?

भारत में जो भी कंपनी वैक्सीन बनाएगी, वह सस्ती ही होगी। बनाने के अलग-अलग तरीके के कारण वैक्सीन की कीमत तो अलग-अलग होगी, लेकिन वह भारत और पूरी दुनिया के लिए सस्ती होगी यह तय है।


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