इटली का दावा, मिली कोरोना की वैक्सीन, ऐंटीबॉडीज ने मानव कोशिका में मौजूद वायरस को किया खत्म

- इटली ने दावा किया है कि उसके डॉक्टर्स ने कोरोना वायरस की वैक्सीन ढूंढ ली है
- वायरस से संबंधित यह रिपोर्ट मंगलवार को ही सार्वजनिक की गई है
- इसमें कहा गया है कि ऐंटी बॉडीज ने मानव कोशिका में मौजूद वायरस को खत्म कर दिया
- रोम के डॉक्टरों ने चूहे की कोशिका से इस ऐंटी बॉडीज को तैयार किया है
नई दिल्ली/रोम
कोरोना वायरस महामारी के महासंकट के बीच इटली ने दावा किया है कि उसने इसकी वैक्सीन की खोज कर ली है। अगर यह दावा सही निकला तो मानव समुदाय के लिए बहुत बड़ी राहत है जो सामान्य जिंदगी छोड़ घरों में बंद रहने को मजबूर हो गया है। इटली की सरकार ने दावा किया है कि उसने ऐंटी बॉडीज को ढूंढ निकाला है जिसने मानव कोशिका में मौजूद कोरोना वायरस को खत्म कर दिया है। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस से दुनियाभर में 3.5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
साइंस टाइम्स में मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है, ‘रोम की संक्रामक बीमारी से जुड़े स्पालनजानी हॉस्पिटल में टेस्ट किया गया है और चूहे में ऐंटी बॉडीज तैयार किया गया। इसका प्रयोग फिर इंसान पर किया गया और इसने अपना असर दिखाया।’ रोम के लजारो स्पालनजानी नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर इन्फेक्शन डिजिज के शोधकर्ताओं ने कहा कि जब इसका इस्तेमाल इंसानों पर किया गया तो देखा गया कि इसने कोशिका में मौजूद वायरस को खत्म कर दिया। यह यूरोप का पहला अस्पताल है जिसने कोविड19 के जीनोम सीक्वंस को आइसोलेट किया था।
डिफेंस इंस्टीट्यूट का टीका बनाने का दावा
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डिफेंस इंस्टीट्यूट की स्थापना वर्ष 1952 में प्रफेसर और तत्कालीन पीएम के वैज्ञानिक सलाहकार अर्नेस्ट डेविड बेर्गमान ने की थी। इस इंस्टीट्यूट के बारे में कहा जाता है कि यह चिकित्सा विज्ञान की तकनीकों और संक्रामक बीमारियों से बचाव पर काम करता है। इजरायल में वैक्सीन और दवा बनाने का काम भी इस इंस्टीट्यूट के जिम्मे है। अब इसी लैब ने कोरोना वायरस का टीका बनाने का दावा किया है। इजरायल के रक्षा मंत्री के मुताबिक यह वैक्सीन मोनोक्लोनल तरीके से कोरोना वायरस पर हमला करती है और बीमार लोगों के शरीर के अंदर ही कोरोना वायरस का खात्मा कर देती है।
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इजरायल का डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट दक्षिणी तेलअबीब से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेस जिओना में है। इस इंस्टीट्यूट में 350 से ज्यादा लोग काम करते हैं जिनमें 150 वैज्ञानिक हैं। इजरायल के लिए यह इंस्टीट्यूट कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह सीधे पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को रिपोर्ट करता है। किसी भी संकट में यह सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है।
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इजरायल का डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट दुनिया के सबसे रहस्मय लैब में एक माना जाता है। बताया जाता है कि इस इंस्टीट्यूट में इजरायल जैविक और केमिकल वीपन तथा ऐसे हमले से बचाव के लिए हथियार बनाता है। इसके अलावा यह इंस्टीट्यूट खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए जहर बनाता है। इस जहर का इस्तेमाल दुनियाभर में इजरायली शत्रुओं की हत्या के लिए किया जाता है। बताया जाता है कि इन घातक जहर और केमिकल वीपन को बनाने के लिए इजरायल ने जमीन के अंदर काफी गहराई में लैब बनाई है। ब्रिटिश खुफिया अधिकारी गॉर्डन थॉमस के मुताबिक इजरायल की यह सीक्रेट लैब अत्यधिक सुरक्षा घेरे में रहती है। इस इंस्टीट्यूट के चारों ओर क्रंक्रीट की दीवार बनाई गई है। इस इंस्टीट्यूट के ऊपर से किसी भी विमान को उड़ने की इजाजत नहीं है।
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इंस्टीट्यूट की दीवार के ऊपर सेंसर लगे हुए हैं और अगर किसी ने उसे फांदने की कोशिश की तो तत्काल इसकी सूचना मिल जाती है। इसके परिसर के अंदर इजरायल के हथियारबंद सुरक्षा गार्ड गश्त लगाते हैं। यहां तक कि इस इंस्टीट्यूट के बारे में किसी भी मैप में कोई जिक्र नहीं है। इंस्टीट्यूट के अंदर हरेक एरिया के अंदर बिना कोड वर्ड और रेटिना जांच के कोई घुस नहीं सकता है। इसके दरवाजे बम प्रूफ हैं और स्वाइप किए जाने वाले कार्ड से खुलते हैं जिसके कोड हर दिन बदल दिए जाते हैं। हर महीने यहां काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य की गहन जांच की जाती है। बताया जाता है कि इंस्टीट्यूट में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई है लेकिन इसके कारणों के बारे में आजतक खुलासा नहीं हुआ है।
WHO ने आज ही दी थी गंभीर चेतावनी
उल्लेखनीय है कि इटली ने यह दावा ऐसे वक्त में किया है जब आज ही डब्ल्यूएचओ के कोविड19 महामारी से जुड़े विशेषज्ञ ने दावा किया था कि हो सकता है कि कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन ही न मिले जैसे कि एचआईवी और डेंगू की वैक्सीन नहीं मिल पाई है। एचआईवी से पिछले चार दशक में 3.4 करोड़ लोगों को जान जा चुकी है।
गौर करने वाली बात है कि दुनियाभर में कोरोना वायरस का तोड़ ढूंढने के लिए 100 से ज्यादा वैक्सीन प्री-क्लीनिकल ट्रायल पर हैं और उनमें से कुछ का इंसानों पर प्रयोग शुरू किया गया है। चीन से लेकर अमेरिका तक वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है।