यूं ही इरफान नहीं थे Irrfan.. हटा दिया था सरनेम, ‘खान’ ना लगाने के पीछे थी बड़ी सोच

ऐक्टर इरफान खान भले ही दुनिया छोड़कर चले गए हों लेकिन फिल्मों में उनके काम, उनके स्वभाव को लोग नहीं भूले हैं। इरफान ने फैंस के दिलों में ऐसी छाप छोड़ी है कि आज सभी उनके जाने से गमगीन हैं। बेहतरीन अदाकारी के अलावा वह अपने लाइफ के फंडों को लेकर भी काफी क्लियर थे और यही बातें लोगों को उनके प्रति आकर्षित करती थीं।
कुछ समय पहले इरफान ने अपने नाम से ‘खान’ यानी सरनेम को हटा लिया था। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं इरफान हूं, सिर्फ इरफान। मैंने कुछ समय पहले से अपने नाम से खान हटा लिया है क्योंकि मैं अपने धर्म, अपने सरनेम या अपनी ऐसी किसी चीज की वजह से पहचाना जाना नहीं चाहता हूं। मैं अपने पूर्वजों के काम की वजह से पहचान बनाना नहीं चाहता हूं।’
सोशल मीडिया पर भी सरनेम नहीं
सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर भी इरफान खान ने अपना नाम सिर्फ इरफान ही लिख रखा था। उनका असली नाम साहबजादे इरफान अली खान है। उन्होंने अपने नाम Irrfan में दो ‘r’ लगा रखा था क्योंकि यह उन्हें काफी पसंद था।
बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान को वर्सोवा कब्रिस्तान में किया गया सुपुर्द-ए-खाकबॉलीवुड अभिनेता इरफान खान का बुधवार को 53 साल की उम्र में मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें मुंबई के वर्सोवा कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। फिल्म निर्देशक शूजीत सरकार ने ट्वीट कर उनकी आकस्मिक मौत की जानकारी दी थी। शूजीत ने ट्वीट कर कहा, ‘मेरे प्यारे दोस्त इरफ़ान। आप लड़े और लड़े और लड़े। मुझे हमेशा आप पर गर्व रहेगा। हम फिर मिलेंगे .. सुतापा और बाबिल के प्रति संवेदना, आपने भी लड़ाई लड़ी, सुतापा आपने इस लड़ाई में हर संभव कोशिश की। शांति, ओम शांति। इरफान खान को सलाम।’ कुछ दिन पहले ही इरफान ने अपनी माँ को खो दिया था।
इन फिल्मों में की जबरदस्त ऐक्टिंग
‘ये साली जिंदगी’, ‘लंचबॉक्स’, ‘पीकू’, ‘पान सिंह तोमर’, ‘जज्बा’, ‘हिंदी मीडियम’, ‘अंग्रेजी मीडियम’ जैसी फिल्मों में इरफान ने अपनी ऐक्टिंग का लोहा मनवाया। बता दें, इरफान कोलोन इंफेक्शन के कारण कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती थे। लंबे समय तक ब्रेन कैंसर से लड़ रहे इरफान पिछले साल ही लंदन में इलाज करवा कर देश लौटे थे।
इरफान खान और सुतापा की पहली मुलाकात
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कहावत है कि सच्चा प्यार नसीबों से मिलता है और जो इस सच्चे प्यार को सहेज कर रख ले, समझ लो उसने सबकुछ पा लिया। इरफान खान और सुतापा सिकदर की लव स्टोरी कुछ ऐसी ही रही है। एनएसडी के आंगन से शुरू हुआ प्यार इरफान की जिंदगी के आखिरी पड़ाव तक भी चट्टान बनकर साथ रहा।
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इरफान खान जब एमए की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उन्हें नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक ऑफर मिला। बस फिर क्या था इरफान ने एनएसडी का रुख किया और चले गए स्कॉलरशिप के लिए ऑडिशन देने। स्कॉलरशिप मिल गई और इरफान ने एनएसडी जॉइन कर लिया। ऐसे ही एक दिन प्रैक्टिस सेशन के दौरान इरफान की नजर एक लड़की पर पड़ी। इरफान बस उसे देखते ही रह गए। इरफान को तब कहां पता था कि वही लड़की यानी सुतापा सिकदर एक दिन उनकी जीवन संगिनी बनेगी। सुतापा वैसे तो ऐक्टिंग का कोर्स कर रही थीं, लेकिन वह स्टोरी और स्क्रीनप्ले राइटिंग में अपना करियर बनाना चाहती थीं।
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इरफान की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह सुतापा से कैसे बात करें। आखिरकार उन्होंने हिम्मत जुटाई और सोचा, ‘चलो आज खुद को उनसे मिला ही देता हूं।’ सबकुछ इरफान के प्लान के मुताबिक चल रहा था। दोनों की सोच, पसंद-नापसंद सबकुछ तो एक जैसा ही था। देखते ही देखते इरफान खान और सुतापा सिकदर गहरे दोस्त बन गए।
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इरफान और सुतापा ने शादी का भी फैसला कर लिया था, लेकिन पहले करियर देखना था। इसलिए शादी को कुछ वक्त तक टाला और जब दोनों को करियर बन गया, तब 1995 में उन्होंने कोर्ट मैरिज कर ली।
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इरफान और सुतापा दोनों ने 1993 में आए टीवी शो ‘बनेगी अपनी बात’ में साथ काम किया। सुतापा इस शो की स्क्रीनप्ले राइटर थीं, जबकि इरफान ऐक्टिंग कर रहे थे। इसके बाद दोनों मियां-बीवी ने कई प्रॉजेक्ट्स में साथ काम किया।
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इरफान को जब कैंसर होने के बारे में पता चला तो मानो सुतापा एकदम टूट गई थीं। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इरफान को भी हारने नहीं दिया। इरफान का इलाजे कराने वह साथ में लंदन गईं। उन्होंने अपने पति को बचाने के लिए करियर तक दांव पर लगा दिया।
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सुख-दुख से भरे हर मोड़ पर इरफान और सुतापा एक-दूसरे के साथ मजबूती से खड़े रहे। लेकिन आज जब इरफान खान इस दुनिया से रुखसत हुए तो मानों सुतापा और उनके बच्चों का हाल देख दिल बैठा जा रहा है।