‘नमाज के दौरान काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं’, AIMPLB की अपील पर मौलाना के अलग सुर

‘नमाज के दौरान काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं’, AIMPLB की अपील पर मौलाना के अलग सुर

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की नमाज के दौरान काली पट्टी बांधने की अपील का मुसलमानों पर कुछ खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। इस बीच दिल्ली के एक मौलाना ने AIMPLB के रुख से अलग जाते हुए कहा कि विरोध करने के लिए काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं है। बता दें कि AIMPLB ने मुसलमानों से आग्रह किया है कि वे वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विरोध में रमजान के आखिरी शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए जाते समय अपने दाहिने हाथ पर काली पट्टी बांधें। AIMPLB के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने बोर्ड के ‘एक्स’ हैंडल पर एक वीडियो अपील जारी की, जिसमें उन्होंने यह आग्रह किया।

‘विरोध के लिए काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं है’

शकूरपुर बस्ती इलाके की मदीना जामा मस्जिद के मौलाना ने AIMPLB की अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं है, विरोध ऐसे भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों को जानकारी भी नहीं है कि पर्सनल लॉ बोर्ड ने क्या कहा है। बता दें कि मस्जिद में कोई भी काली पट्टी बांधे नजर नहीं आया। मस्जिद एवं आसपास के इलाके में पुलिस बल की तैनाती की गई हैं। वहीं, बीजेपी नेताओं के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मस्जिद के जनरल सेक्रेट्री ने कहा कि यहां पर अक्सर नमाज मस्जिद में ही होती है, मजबूरी में ही कोई सड़क पर नमाज पढ़ता है।

‘अलविदा जुमे की नमाज के लिए कम पड़ती है जगह’

मस्जिद के जनरल सेक्रेट्री ने कहा कि अलविदा जुमे की नमाज के लिए खास तैयारी की गई है मस्जिद में जगह कम पड़ जाती है इसलिए सामने के 3 पार्क पर शामियाना लगाया है। बता दें कि काली पट्टी बांधने की अपील पर मेरठ की जामा मस्जिद में पहुंचे नमाजियों ने भी कहा कि वक्फ बिल के विरोध के लिए काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं है। सिर्फ इक्का-दुक्का लोग ही AIMPLB के अपील पर गौर करते दिखे। AIMPLB की अपील पर अधिकांश मुसलमानों का यही मानना था कि वक्फ बिल का विरोध करने के लिए काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं है।


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