ISKP की साजिश नाकाम, अहदाबाद-दिल्ली, लखनऊ में कैमिकल हमले का प्लान, जानें कैसे हुआ बड़ा खुलासा
गुजरात एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) ने खतरनाक आतंकी साजिश को विफल करते हुए तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जिनमें हैदराबाद के एक डॉक्टर का नाम प्रमुख है. यह गिरोह कथित तौर पर आईएसआईएस-खोरासान प्रांत (आईएसकेपी) से जुड़ा हुआ था और रिसिन नामक घातक जहर का इस्तेमाल करके अहमदाबाद, दिल्ली और लखनऊ जैसे शहरों में बड़े पैमाने पर रासायनिक हमले की योजना बना रहा था.
एक साल की निगरानी का नतीजा
एटीएस के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) सुनील जोशी ने रविवार को अहमदाबाद में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह कार्रवाई एक साल से चली आ रही खुफिया निगरानी का परिणाम है. 7 नवंबर को एटीएस की टीम ने अहमदाबाद-मेहसाणा हाईवे पर आदलज टोल प्लाजा के पास एक सिल्वर फोर्ड फिगो कार को रोका. कार में सवार मुख्य आरोपी डॉ. अहमद मोहिउद्दीन सैयद (35 वर्ष, हैदराबाद निवासी) को गिरफ्तार किया गया. सैयद ने चीन से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है और वह कथित रूप से उच्च शिक्षित लेकिन आतंकी विचारधारा से प्रभावित था.
जांच के दौरान पता चला कि सैयद ने चीन से डाक्टरी की पढ़ाई की है. इसके मोबाइल फोन और लैपटॉप की फॉरेंसिक जांच से दो अन्य आरोपी सामने आए, जिन्हें बनासकांठा जिले से गिरफ्तार किया गया. ये हैं- आजाद सुलेमान शेख (20 वर्ष, शाहजहांपुर) और मोहम्मद सुहेल मोहम्मद सलीम खान (23 वर्ष, लखीमपुर खीरी). जोशी ने कहा, “ये तीनों गुजरात में हथियारों का आदान-प्रदान करने आए थे और रिसिन से जुड़ी आतंकी गतिविधियों की साजिश रच रहे थे.” दोनों यूपी के आरोपी ‘दीनि’ (धार्मिक) शिक्षा प्राप्त बताए गए हैं, जिन्होंने राजस्थान के हनुमानगढ़ से ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से तस्करी किए गए हथियार इकट्ठा किए थे.
टेलीग्राम चैट और पाकिस्तानी हैंडलर
प्रारंभिक पूछताछ में सैयद ने खुलासा किया कि वह अफगानिस्तान स्थित आईएसकेपी के एक हैंडलर ‘अबू खादिजा’ के संपर्क में था. यह संपर्क टेलीग्राम ऐप के माध्यम से हो रहा था, जहां अबू खादिजा ने उसे हथियारों की आपूर्ति, फंडिंग और भर्ती के निर्देश दिए थे. सैयद ने कथित रूप से पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा से ड्रोन के जरिए भेजे गए हथियारों को कलोल (गुजरात) के एक कब्रिस्तान से ‘डेड ड्रॉप’ (गुप्त स्थान) पर प्राप्त किया था. इसके अलावा उसके कई पाकिस्तानी नागरिकों से संपर्क थे, जो आईएसकेपी के नेटवर्क से जुड़े होने का संकेत देते हैं.
दिल्ली, लखनऊ और अहमदाबाद में कई जगहों की रेकी
एटीएस ने सैयद के डिवाइस से लगभग एक साल पुराने कॉल रिकॉर्ड और मैसेज रिकवर किए, जो दिल्ली, लखनऊ और अहमदाबाद की संवेदनशील जगहों (जैसे सरकारी भवन और सार्वजनिक स्थल) की रेकी की पुष्टि करते हैं. जोशी ने कहा, “सैयद फंड इकट्ठा करने और नए सदस्य भर्ती करने की योजना बना रहा था. वह रिसिन बनाने की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू कर चुका था, जिसमें रिसर्च, उपकरण और कच्चा माल जुटाया गया था.” इसे निगलने, सांस लेने या इंजेक्ट करने पर मौत हो सकती है और इसका कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं है. अंतरराष्ट्रीय रासायनिक और जैविक हथियार सूची में शामिल यह जहर बड़े पैमाने पर जनहानि का कारण बन सकता है.
सैयद से 4 लीटर कैस्टर ऑयल जब्त
सैयद के पास जब्त 4 लीटर कैस्टर ऑयल से पर्याप्त मात्रा में रिसिन तैयार किया जा सकता था, जो संभावित हमलों के लिए पर्याप्त था. यह साजिश चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा विषाक्त पदार्थों के दुरुपयोग का उदाहरण है, जो वैश्विक आतंकी नेटवर्क की नई रणनीति को दर्शाता है. एटीएस ने इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और अन्य राज्य पुलिस के साथ समन्वय शुरू कर दिया है.
जोशी ने बताया, “केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के सहयोग से अन्य संदिग्धों को पकड़ने की प्रक्रिया चल रही है. आईएसकेपी के साथ सीधा लिंक जांच का विषय है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की पड़ताल तेज हो गई है.” गिरफ्तार तिकड़ी के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (यूएपीए), भारतीय न्याय संहिता और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. सैयद को 17 नवंबर तक एटीएस कस्टडी में भेजा गया है.
अभी और गिरफ्तारियां होने की संभावना
यह मामला भारत में आईएसकेपी जैसे वैश्विक समूहों की घुसपैठ को उजागर करता है, जो अब शिक्षित युवाओं को निशाना बना रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन तस्करी और डिजिटल संचार से आतंकी नेटवर्क अधिक परिष्कृत हो गए हैं. एटीएस की त्वरित कार्रवाई ने संभावित त्रासदी को टाल दिया, लेकिन यह सतर्कता की मांग करता है. अभी और गिरफ्तारियां होने की संभावना है.
