ज्ञानवापी मस्जिद के फैसले पर इकबाल अंसारी बोले- कोर्ट के फैसले का होगा सम्मान

ज्ञानवापी मस्जिद के फैसले पर इकबाल अंसारी बोले- कोर्ट के फैसले का होगा सम्मान

लखनऊ । रामनगरी अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में बाबरी मस्जिद के पैरोकार रहे इकबाल अंसारी ने भी वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) और श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) पूजा के केस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। इनके पिता स्वर्गीय हाजी हाशिम अंसारी ने बड़े लम्बे समय तक अयोध्या की बाबरी मस्जिद के केस की पैरवी की थी।

वाराणसी में जिला अदालत ने फैसला दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सुनवाई के योग्य है। कोर्ट के इसी फैसले का लोगों को करीब एक वर्ष से इंतजार था। कोर्ट अब इस मामले में 22 को अगली सुनवाई करेगी। वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर को लेकर दायर मुकदमा नंबर 693/2021(18/2022) राखी सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य को लेकर वाराणसी के जिला जज ने अपना निर्णय देते हुए कहा कि केस न्यायालय में चलने योग्य है। यह निर्धारित करते हुए प्रतिवादी संख्या 4 अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के 7/11 के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।

वाराणसी की कोर्ट के फैसले के बीच में ही इकबाल अंसारी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कोर्ट के फैसले से पहले इकबाल अंसारी ने कहा कि जज को फैसला देने से पहले सभी का ख्याल रखना चाहिए। बाबरी मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा है कि फैसला ऐसा होना चाहिए ताकि देश-विदेश के लोग जानें कि हिंदुस्तान में ऐसा फैसला हुआ। इस फैसले में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सारे लोगों का ख्याल रखा जाए।

अयोध्या की बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा का ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर फैसले का दिन देश के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे देश की किसी भी अदालत के लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख तथा ईसाई बराबर हैं। कोर्ट तो कानून के हिसाब से फैसला करता है। हमारा यही मानना है कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर फैसला ऐसा होना चाहिए ताकि देश-विदेश के लोग जानें कि हिंदुस्तान में ऐसा फैसला हुआ। फैसला वही होना चाहिए जिसमें हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सारे लोगों का ख्याल रखा जाए।

अयोध्या निवासी इकबाल अंसारी ने कहा कि अदालत सबूत के आधार पर फैसला करती है। कोर्ट का जो भी फैसला होगा हम उसका सम्मान करेंगे कोर्ट का जो भी फैसला होगा हम उसका सम्मान करेंगे। इकबाल अंसारी ने कहा हम हिंदुस्तान में रहते हैं। देश का भला चाहते हैं। फैसला ऐसा होना चाहिए कि हिंदू मुसलमान में कोई मत भेद न हो।