अंतरराष्ट्रीय भारती महोत्सव: पीएम मोदी ने किया तमिल महाकवि सुब्रह्मण्य को याद, कहा- महिला सशक्तिकरण उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अंतरराष्ट्रीय भारती महोत्सव को संबोधित किया। तमिल कवि और लेखक सुब्रह्मण्य भारती की 138वीं जयंती के मौके पर वानाविल कल्चलर सेंटर में आयोजित महोत्सव को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने महाकवि को याद किया।
सामाजिक असमानता पर भी महाकवि ने खींचा था ध्यान: पीएम
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकवि को याद करते हुए कहा, ‘ सुब्रह्मण्य भारती को परिभाषित करना काफी मुश्किल है। उनका जुड़ाव किसी एक पेशे से नहीं था। वे कवि, लेखक, संपादक, पत्रकार, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी के साथ ही बहुत कुछ थे। उनकी शख्सियत विशाल थी। उनका मानना था कि विभाजित समाज सफलता पाने में सक्षम नहीं होगा। उन्होंने राजनीतिक आजादी के खालीपन के बारे में भी लिखा जो सामाजिक असमानता और अन्य बुराईयों की देखरेख नहीं कर सकता है।’
महाकवि का सपना था महिलाओं को सशक्त बनाना
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ वे महिलाओं को सशक्त बनाना चाहते थे। उन्होंने लिखा था- महिलाओं को अपना सिर ऊंचा कर लोगों की आंखों में देखते हुए चलना चाहिए। हम उनके इस विजन से प्रभावित हैं और महिलाओं के सशक्तिकरण को मजबूत बनाने के लिए काम कर रहे हैं। अब महिलाएं हमारी सशस्त्र सेना का हिस्सा बन रही हैं। वे अपना सिर ऊंचा कर चलने में सक्षम हैं और हमें यह विश्वास दिला रहीं कि देश सुरक्षित हाथों में है।’
महाकवि के कामों पर रिसर्च के लिए भारती अवार्ड
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मुझे इस साल अंतर्राष्ट्रीय भारती महोत्सव पर भारती अवॉर्ड श्री सीनी विश्वनाथन जी को देने की अति प्रसन्नता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन महाकवि भारती के कामों की रिसर्च में लगा दिया। उन्होंने 86 वर्ष की उम्र में भी अपना काम जारी रखा।’
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस बारे में गुरुवार को ही को इस बात की जानकारी दी थी। इसमें बताया गया था , ‘हर साल आयोजित होने वाले इस महोत्सव को इस साल प्रधानमंत्री मोदी शाम 4.30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे। इस साल यह महोत्सव वर्चुअली आयोजित किया जा रहा है और इसमें कई देशों के अंतरराष्ट्रीय कवि और कलाकार शामिल होंगे।’
तमिल भाषा के साहित्यकार महाकवि सुब्रह्मण्य भारती स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी सक्रियता से शामिल रहे। उनकी रचनाओं से प्रेरित हो दक्षिण भारत से बड़ी संख्या में लोग इस आंदोलन में कूद पड़े।
हिंदी, बंगाली, संस्कृत, अंग्रेजी समेत अनेकों भाषाओं में महाकवि भारती की मजबूत पकड़ थी। इन भाषाओं में तमिल उनकी प्रिय भाषा थी। 11 दिसंबर 1882 को तमिल गाँव में जन्मे महाकवि ने 11 वर्ष की उम्र में ही कवि सम्मेलन में हिस्सा लिया और यहां उन्हें देवी सरस्वती खिताब से सम्मानित किया गया था। इसके बाद उन्होंने लेखन में भी प्रसिद्धि पाई।