दिल्ली सेवा बिल पर राघव चड्ढा का पलटवार, नेहरूवादी बनने की बजाय आडवाणीवादी बनें
लोकसभा से बिल पास हो गया है. अब केंद्र सरकार इस बिल को राज्यसभा में पास कराने की कोशिश में है. वहीं विपक्ष की ओर से इस बिल का विरोध हो रहा है.
New Delhi: कंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पेश किया. जिसका कांग्रेस ने विरोध किया. लोकसभा से यह बिल पास हो चुका है इसलिए केंद्र सरकार इस बिल को अब राज्यसभा में पास कराने पर जोर दे रही है. लेकिन विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है. इसके लिए सत्तापक्ष और विपक्ष ने अपने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहने को कहा है.बता दें कि इस बिल के खिलाफ आम आदमी पार्टी को 26 विपक्षी पार्टियों का समर्थन मिल रहा है. यही नहीं तेलंगाना की सत्ताधारी BRS ने भी अपने सांसदों से इस बिल का विरोध करने को कहा है. वहीं बहुजन समाज पार्टी ने इस बिल पर बायकॉट करने की बात कही है. जबकि बीजेडी, वाईएसआर और टीडीपी जैसे गैर NDA दलों ने इस बिल के समर्थन का एलान किया है.
ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली सेवा विधेयक पर चर्चा के बाद सोमवार शाम को ही वोटिंग हो सकती है. बता दें कि इससे पहले इस बिल को लोकसभा में विपक्षी दलों के बायकॉट के बीच ध्वनिमत से पारित किया गया था.
AAP सांसद राघव चड्ढा राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर बोले, उन्होंने कहा कि ये राजनैतिक धोखा है. एक समय था जब भारतीय जनता पार्टी ने खुद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की थी. राघव चड्ढा ने गृहमंत्री अमित शाह के लोकसभा में दिए बयान पर पलटवार किया है. शाह ने लोकसभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू के बयान को दोहराते हुए दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने पर विरोध जताया. इस बयान पर पलटवार करते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि भाजपा के पुराने नेताओं ने कई सालों तक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग उठाई थी. मगर आज के नेताओं ने उनके संघर्ष को मिट्टी में मिला दिया है.
कांग्रेस ने लगाया बीजेपी पर आरोप
राज्यसभा में पेश होने के बाद इस बिल पर चर्चा भी शुरू हो गई. चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस बिल के जरिए बीजेपी का किसी भी तरह से नियंत्रण करना चाहती है. उन्होंने इस बिल को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह मौलिक रूप से अलोकतांत्रिक है. सिंघवी ने कहा कि यह दिल्ली के लोगों की क्षेत्रीय आवाज और आकांक्षाओं पर एक प्रत्यक्ष हमला है. उन्होंने कहा कि यह बिल संघवाद के सभी सिद्धांतों, सिविल सेवा जवाबदेही के सभी मानदंडों और विधानसभा-आधारित लोकतंत्र के सभी मॉडलों का उल्लंघन करता है.