पहल: प्रवासी उत्तराखंडियों के लिए बनेगा अलग से विभाग, गंगा में नहीं प्रवाहित होगी साधू संतों की देह

पहल: प्रवासी उत्तराखंडियों के लिए बनेगा अलग से विभाग, गंगा में नहीं प्रवाहित होगी साधू संतों की देह
  • विधायकों के साथ मंत्रियों के मंथन कार्यक्रम में सरकार ने लिया निर्णय 
  • गंगा में नहीं प्रवाहित होगी साधू संतों की देह, हरिद्वार में बनेगा समाधि स्थल 

पलायन रोकने में उत्तराखंड सरकार प्रवासी उत्तराखंडियों की मदद लेगी। प्रदेश में प्रवासी उत्तराखंडी आसानी से निवेश कर सकें, इसके लिए अलग से विभाग बनाया जाएगा। सरकार ने साधु संत समाज के लिए बड़ा निर्णय लिया है। साधू संतों के निधन पर उनकी देह गंगा में प्रवाहित करने की जगह हरिद्वार में एक समाधि स्थल बनेगा।

वहीं, 18 वर्ष से अधिक आयु के अनाथ बच्चों के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना शुरू होगी। इसके अलावा वर्ष 2022 तक सरकार हर ग्रामसभा को सड़क से जोड़ देगी।मुख्यमंत्री आवास पर बृहस्पतिवार को मंत्रियों और भाजपा विधायकों के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मंथन कार्यक्रम में यह निर्णय लिए गए। कार्यक्रम में मंत्रियों ने तीन वर्ष के कार्यकाल में किए कामकाज गिनाए और आगामी दो वर्ष में शुरू की जाने वाली नई योजनाओं का रोडमैप रखा।

57 प्रतिशत घोषणाएं पूरी हो चुकी

विधायकों ने अपने विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित समस्याएं भी रखीं। कार्यक्रम के उपरांत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पत्रकार वार्ता में बताया कि मंथन कार्यक्रम में विधायकों की ओर से कई महत्वपूर्ण सुझाव आए। सरकार ने तीन वर्ष में क्या उपलब्धियां हासिल कीं, उन पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री घोषणाओं को लेकर सरकार गंभीर है। 57 प्रतिशत घोषणाएं पूरी हो चुकी हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सिंचाई, वन आदि विभागों को लेकर गंभीरता से मंथन हुआ।

विधायकों की शिकायत, कोई नई बात नहीं
भाजपा के विधायक अकसर यह आरोप लगाते हैं कि अफसर उनकी सुनते नहीं। हाल ही में राज्यमंत्री रेखा आर्य ने कार्मिक विभाग पर आरोप लगाया है कि अफसर उनकी नहीं सुन रहे। विधायकों की इस समस्या को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत गंभीर नहीं मानते। अफसरशाही पर मनमानी के आरोप से संबंधित सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समस्या जब से मैं राजनीति में आया हूं, तब से सुन रहा हूं। यह कोई नई बात नहीं है।