ब्रिटेन में भारत का सख्त संदेश: “पाकिस्तान भीख मांगता है, लेकिन फैलाता है आतंकवाद”

ब्रिटेन में भारत का सख्त संदेश: “पाकिस्तान भीख मांगता है, लेकिन फैलाता है आतंकवाद”

लंदन: यूनाइटेड किंगडम में भारत ने आतंकवाद के प्रति अपनी ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति को मजबूती से दोहराया। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में भारत के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटेन में भारतीय प्रवासियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संबोधित करते हुए पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया।

गुलाम अली खटाना का तीखा प्रहार:

प्रतिनिधिमंडल में शामिल भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने पाकिस्तान की दोहरी नीति की आलोचना करते हुए कहा, “एक तरफ पाकिस्तान दुनिया से भीख मांगता है और दूसरी ओर आतंकवाद फैलाता है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम भारत की ओर से स्पष्ट संदेश लेकर आए हैं—हम आतंकवाद को कुचलना जानते हैं और इसके लिए हमें किसी बाहरी मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। भारत के लोग, सेना, सरकार और प्रवासी—all are united against terrorism.”

कश्मीर की बदली तस्वीर से बौखलाया पाकिस्तान

खटाना ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हुई हैं और यही बात पाकिस्तान को चुभ रही है। “हमने उन्हें अपनी नदियों का 80% पानी दिया और बदले में हमें घुसपैठ, आतंकवाद और नशे की तस्करी मिली,” उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी बताया कि पहले जहाँ कश्मीर में लोकतांत्रिक भागीदारी सीमित थी, अब वहां लोग खुले मन से मतदान कर रहे हैं, पर्यटन बढ़ा है, और महिलाओं को उनके अधिकार मिले हैं।

अब चुप रहना विकल्प नहीं

भारतीय प्रवासियों से बात करते हुए खटाना ने आह्वान किया, “अब समय आ गया है कि हम चुप न रहें। यह सिर्फ सैनिकों की नहीं, आपकी भी लड़ाई है—कूटनीतिक, डिजिटल और वैचारिक मोर्चे पर। आप जहां भी हैं, भारत के राजदूत हैं।”

एमजे अकबर: “यह आतंकवाद नहीं, फासीवाद है”

पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने हालिया आतंकी हमलों को “जातीय सफाए और फासीवादी सोच” का हिस्सा बताया। लंदन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा:

“पाकिस्तान का जन्म किसी लोकतांत्रिक आंदोलन से नहीं, बल्कि हिंसा से हुआ था। यह 1946 के कलकत्ता और 1971 के ढाका नरसंहार से जुड़ा हुआ है।”

उन्होंने कहा कि जो आतंक अब भारत में दिख रहा है, वह कोई सामान्य हिंसा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित वैचारिक युद्ध है। “अगर यूरोप, जिसने हिटलर और फासीवाद को झेला है, वह यह खतरा नहीं पहचानेगा तो कौन पहचानेगा?”

भारत का वैश्विक संदेश: “आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं”

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा केवल राजनयिक संवाद नहीं, बल्कि एक रणनीतिक प्रयास है—विश्व समुदाय को यह बताने के लिए कि भारत आतंकवाद के खिलाफ पूरी मजबूती से खड़ा है और अपनी बात वैश्विक मंचों पर रखने के लिए अब पीछे नहीं रहेगा।