जम्मू। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लद्दाख व जम्मू कश्मीर में देश की सरहदों पर बन रहे मजबूत पुल दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने की सेना की ताकत का प्रतीक हैं। चीन और पाकिस्तान का सामना करने के लिए इन दो केंद्र शासित प्रदेशों में एक साल में बने 47 नए पुल सेना और वायुसेना के किसी भी बड़े वाहन को सरहद के पास ले जाने में सक्षम हैं।
रणनीति के तहत एक तरफ बड़े से बड़ा विमान उतारने के लिए वास्त्विक नियंत्रण रेखा के पास एडवांस लैंडिग ग्राउंड और बेहतर बनाई गई है। वहीं, दूसरी ओर दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का करारा जवाब देने के लिए सेना को जल्द सरहद तक पहुंचने के लिए पुलों व सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है।
नए पुल व सड़कों से भावी चुनौतियों का सामना करने की तैयारी है। ऐसे में लद्दाख में 19,300 फीट की ऊंचाई पर छिशुमाले से डेमचौक तक बनी 52 किलोमीटर सड़क भी सामरिक दृष्टि से अहम है। यह वैकल्पिक सड़क लेह से सेना के साजो सामान को रणनीतिक रूप से अहम डेमचोक इलाके तक जल्द पहुंचाने के लिए बनाई गई है। डेमचोक में कई बार चीन की सेना के घुसपैठ करने के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, उत्तरी कमान मुख्यालय ऊधमपुर से लद्दाख तक किश्तवाड़ से सेना को पहुंचाने के लिए भी वैकल्पिक मार्ग तैयार हो रहा है।
पूर्वी लद्दाख में 70 टन भार उठाने में सक्षम है पुल :
मंगलवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की ओर से जम्मू कश्मीर व लद्दाख में 14 पुल लोकार्पित करने से पहले अक्टूबर 2020 में 18 पुल व इस वर्ष जून में 15 पुल देश को समर्पित किए जा चुके हैं। यह सभी क्लास-70 श्रेणी के पुल हैं, जिन्हें सीमा सड़क संगठन ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया है। इन पर से सेना की तोपों को बड़े वाहनों से ले जाना संभव है। पूर्वी लद्दाख में पुराने पुल सिर्फ 24 टन भार उठाने में सक्षम थे। अब बने पुल 70 टन भार उठा सकते हैं। इनमें कई पुल 80 मीटर से भी अधिक लंबे हैं।
बुनियादी ढांचे को मजबूत कर दिया जा रहा जवाब :
सैन्य सूत्रों के अनुसार, पूर्वी लद्दाख में चीन के क्षेत्र में चल रही गतिविधियों की इस समय कड़ी निगरानी हो रही है। इसके लिए हाल में इजरायल के चार हेरोन ड्रोन भी भारतीय बेड़े को मजबूत बना रहे हैं। चीन ने वास्त्विक नियंत्रण रेखा पर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया है, भारतीय क्षेत्र में भी इसे युद्ध स्तर पर मजबूत कर जवाब दिया जा रही है।
यह मजबूत देश की मजबूत सेना होने का संदेश :
लद्दाख में तैनात रह चुके सेना के सेवानिवृत मेजर जनरल जीएस जम्वाल का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन द्वारा अपनाई जा रही रणनीति का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। गलवन से उपजे हालात के बाद चीन को बताना जरूरी है कि हमारी हर तरह से पूरी तैयारी है। सेना सक्षम है, युद्ध अभ्यास हो रहे हैं, वायुसेना के बड़े विमानों को एक साथ नियंत्रण रेखा पर उतारने के ट्रायल हो रहे हैं। सशस्त्र सेनााओं के बेड़े में आधुनिक हथियार शामिल हो रहे हैं। युद्ध के हालात से निपटने के लिए तेजी से सड़कें, पुल व बुनियादी ढांचा तैयार हो रहा है। यह मजबूत देश की मजबूत सेना होने का संदेश हैं।