भारत के पास अब केवल 2 ऑप्शन हैं, अमित शाह के बयान से बौखलाए बिलावल ने दी युद्ध की धमकी

भारत के पास अब केवल 2 ऑप्शन हैं, अमित शाह के बयान से बौखलाए बिलावल ने दी युद्ध की धमकी

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने भारत को एक और खोखली धमकी देते हुए कहा कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के तहत इस्लामाबाद को पानी का उचित हिस्सा देने से इनकार कर दिया तो उनका देश युद्ध की ओर बढ़ जाएगा। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने नेशनल असेंबली सत्र के दौरान भारत पर निशाना साधा। बिलावल ने इजराइल के ईरान पर हमले की तुलना ऑपरेशन सिंदूर से की।

अमित शाह ने सिंधु जल संधि को बहाल न करने की घोषणा की

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने 1960 के समझौते को स्थगित कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह ऐतिहासिक समझौते को कभी बहाल न करने की घोषणा की थी। बिलावल की यह टिप्पणी पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा शाह की अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के प्रति बेशर्मी से उपेक्षा की आलोचना के दो दिन बाद आई है।

बिलावल ने सिंधु जल संधि पर भारत के फैसले को खारिज किया

बिलावल भुट्टो ने संसद में दिए भाषण में समझौते को निलंबित करने के भारत के फैसले को खारिज किया और पाकिस्तान के हिस्से का पानी लेने की धमकी दी। उन्होंने सिंधु बेसिन की छह नदियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के पास दो विकल्प हैं: पानी को उचित तरीके से साझा करें या हम सभी छह नदियों से पानी अपने पास पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि अभी भी प्रचलन में है क्योंकि समझौते को स्थगित नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि सिंधु (सिंधु नदी) पर हमला और भारत का दावा कि सिंधु जल संधि समाप्त हो गई है और स्थगित है। सबसे पहले, यह अवैध है, क्योंकि सिंधु जल संधि स्थगित नहीं है, यह पाकिस्तान और भारत पर बाध्यकारी है, लेकिन पानी रोकने की धमकी ही संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार अवैध है।

बिलावल की युद्ध की एक और खोखली धमकी

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख बिलावल भुट्टो ने भी धमकी दी कि अगर भारत ने धमकी पर अमल करने का फैसला किया तो हमें फिर से युद्ध छेड़ना पड़ेगा। पूर्व विदेश मंत्री ने बातचीत और सहयोग के महत्व पर भी प्रकाश डाला, खासकर आतंकवाद विरोधी प्रयासों में। उन्होंने कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान बातचीत करने से इनकार करते हैं और अगर आतंकवाद पर कोई समन्वय नहीं होता है, तो दोनों देशों में हिंसा और बढ़ेगी।


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