“भारत घर में तो शोर मचाता है, लेकिन विदेश में अकेला है”: पवन खेड़ा का मोदी सरकार की विदेश नीति पर तीखा हमला

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सोमवार को भाजपा की विदेश नीति को लेकर तीखा हमला किया और इसे केवल दिखावटी जनसंपर्क अभियान करार दिया। खेड़ा ने कहा कि मोदी सरकार की तथाकथित “शक्तिशाली विदेश नीति” अब धीरे-धीरे अपने प्रचार के बोझ तले ही ढह रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्व मंचों पर भारत लगातार अलग-थलग पड़ता जा रहा है।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए अपने विस्तृत पोस्ट में खेड़ा ने लिखा, “भारत घर पर तो शोर मचाता है, लेकिन विदेश में अकेला पड़ गया है।”
विदेश नीति पर सवालों की लंबी सूची
कांग्रेस नेता ने मौजूदा वैश्विक घटनाओं का हवाला देते हुए दावा किया कि भारत की कूटनीतिक पकड़ कमजोर हुई है। उन्होंने निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष रूप से सरकार को कटघरे में खड़ा किया:
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सऊदी अरब का वीजा निलंबन – भारत सहित 14 देशों के लिए वीजा सस्पेंशन को खेड़ा ने विदेश नीति की विफलता बताया।
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चीन का रवैया – संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादियों के नाम उजागर न करने का चीन का रुख भारत के लिए कूटनीतिक झटका माना गया।
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पाकिस्तान को वैश्विक समर्थन – चीन, रूस, ईरान, तुर्की और मलेशिया जैसे देशों ने पाकिस्तान को न सिर्फ समर्थन दिया, बल्कि कश्मीर मुद्दे पर भारत के विरोध में बयान भी दिए।
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कनाडा-खालिस्तान विवाद – इसके चलते G7 बैठक में भारत की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाया गया।
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मालदीव और श्रीलंका की चीन-झुकाव नीति – खेड़ा ने कहा कि भारत के पड़ोसी अब बीजिंग के रणनीतिक प्रभाव में हैं।
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नेपाल का नया नक्शा – नेपाल द्वारा भारतीय क्षेत्र को अपने नक्शे में शामिल करना भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती बताया गया।
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OIC का रुख – खेड़ा के अनुसार, कश्मीर और मुस्लिम अधिकारों के मुद्दे पर इस्लामिक देशों का समर्थन भारत के खिलाफ रहा है।
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SCO और BRICS – इन मंचों को खेड़ा ने चीन का “प्रवक्ता” बताया।
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रूस-पाकिस्तान गठजोड़ – रूस का पाकिस्तान के साथ सैन्य और ऊर्जा समझौता भारत के लिए चिंता का विषय बताया गया।
पाकिस्तान को मिल रही आर्थिक मदद भी मुद्दा
खेड़ा ने यह भी कहा कि आर्थिक संकट में होने के बावजूद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भारी मात्रा में आर्थिक सहायता मिल रही है:
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विश्व बैंक से 20 अरब डॉलर
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आईएमएफ से 1 अरब डॉलर
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एशियन डेवलपमेंट बैंक से 800 मिलियन डॉलर
इसके साथ ही पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने में भी सफलता पाई है। तुर्की ने पाकिस्तान के समर्थन में युद्धपोत भेजा, जबकि ईरान ने मध्यस्थता की पेशकश की। कतर, कुवैत और मलेशिया ने भी इस्लामाबाद के रुख का समर्थन किया।
“विदेश नीति पीआर के नीचे दब गई है”
खेड़ा ने सरकार पर आरोप लगाया, “यह सरकार सिर्फ प्रचार में माहिर है। तथाकथित मजबूत विदेश नीति दरअसल एक खोखला पीआर अभियान है, जो अब पूरी तरह से विफल हो चुका है। भारत आज वैश्विक स्तर पर न केवल अलग-थलग है, बल्कि उसका प्रभाव भी लगातार घट रहा है।