भारत बंद आज, जानें क्या आएंगी मुश्किलें, कैसी है सरकार, किसानों और विपक्षी दलों की तैयारी…

नई दिल्ली । किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को भारत बंद का ऐलान किया है। देश के तमाम विपक्षी दलों ने इस बंद का समर्थन किया है। लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बरकरार रहे और कहीं भी हिंसा या उपद्रव ना हो इसके लिए सरकार ने भी कमर कस ली है। देशव्यापी बंद को देखते केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। वहीं कर्मचारियों को कार्यस्थलों पर पहुंचने में किसी तरह कि कोई दिक्कत नहीं हो किसानों ने इसका भी ख्याल रखा है। आइए जानते हैं भारत बंद के चलते क्या आएंगी मुश्किलें और इसको लेकर कैसी है सरकार, किसानों और विपक्षी दलों की तैयारी…
…ताकि दफ्तर जा सकें कर्मचारी
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत बंद के तहत सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक चक्काजाम किया जाएगा। कर्मचारी दफ्तर जा सकें और शाम को घर लौट सकें इसका विशेष ध्यान रखा गया है। क्योंकि आमतौर पर सुबह 11 बजे तक लोग दफ्तर जा रहे होते हैं और शाम तीन बजे से छुट्टी होनी शुरू हो जाती है।
शांतिपूर्ण रहेगा बंद लेकिन दोपहर बाद खोलें दुकानें
किसान नेता राकेश टिकैत ने दुकानदारों से गुजारिश की है कि वे लंच के बाद ही दुकानें खोलें। वहीं किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा है कि हमारा शांतिपूर्ण भारत बंद का आह्वान है। किसान भाई चार घंटों के संपूर्ण बंद में कोई हिंसा या जोर जबरदस्ती न करें।
लोगों को परेशान नहीं करने का दिया भरोसा
किसानों ने कहा है कि कर्मचारी रोज की तरह अपने ऑफिस जा सकेंगे। उन्हें परेशान नहीं किया जाएगा। एंबुलेंस और विवाह समारोहों में शामिल होने जा रहे लोगों और वाहनों को किसी तरह की रुकावट नहीं डाली जाएगी। प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा और हिंसा और उपद्रव की इजाजत नहीं होगी।
झंडा घर छोड़कर आएं राजनीतिक दल
किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि भारत बंद के मद्देनजर राजनीतिक दलों से अपील है कि जब किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए आएं तो अपना झंडा घर छोड़कर आएं। यही नहीं किसान संगठनों ने मंच पर किसी भी राजनीतिक दल के नेता को जगह नहीं देने की बात कही है।
थम जाएंगे ट्रकों के पहिए
लुधियाना से चरणजीत सिंह लोहारा प्रधान पंजाब ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने कहा कि ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने किसानों के समर्थन में आठ दिसंबर को चक्का जाम करने का फैसला किया है। परिवहन संघ, ट्रक यूनियन, टेंपो यूनियन सभी ने बंद को सफल बनाने का फैसला किया है। इस बंद का असर पूरे भारत में होगा।
केंद्र ने राज्यों को दिए दिशा-निर्देश
‘भारत बंद’ के दौरान हिंसा नहीं हो इसे लेकर केंद्र सरकार सतर्क है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी कहा है कि मंगलवार को ‘भारत बंद’ के दौरान सुरक्षा कड़ी करते हुए सभी जगह शांति सुनिश्चित की जाए। यही नहीं इस दौरान कोरोना से बचाव को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन कराया जाए।
आठ राज्यों ने किया समर्थन
अब तक आठ राज्य सरकारों ने भारत बंद का समर्थन किया है। इनमें दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल और महाराष्ट्र की सरकारें शामिल हैं। ममता बनर्जी ने किसानों की मांगों का तो समर्थन किया है लेकिन भारत बंद को सपोर्ट नहीं किया है।
विपक्ष में जानें कौन-कौन है साथ
किसानों के इस भारत बंद का कांग्रेस, राकांपा, माकपा, सपा, बसपा, शिवसेना, नेकां, पीडीपी, राजद, द्रमुक, एमएनएमए भाकपा टीआरएस, गुपकार अलायंस और आम आदमी पार्टी जैसे प्रमुख दलों ने समर्थन किया है। माना जा रहा है कि इस बंद का असर नौ दिसंबर की वार्ता पर पड़ना तय है। यही वजह है कि किसान बंद को सफल बनाने पर जोर दे रहे हैं।
इन सरकारों ने नहीं किया समर्थन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो-टूक कहा है कि बंद के दौरान जरूरी सेवाओं को रोकने और जबरदस्ती करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा है कि प्रदर्शन के दौरान आम लोगों को परेशान करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। शिवराज ने भी उपद्रव करने वालों को चेताया है।
बाकी राज्यों में ऐसा रहेगा हाल
पंजाब और हरियाणा : सबसे पहले बात पंजाब और हरियाणा की तो इन राज्यों में अधिकांश पेट्रोल पंप शाम पांच बजे तक बंद रहने का अनुमान है। हालांकि इमरजेंसी सेवाओं से जुड़ी गाड़ियों तेल मिलेगा।
राजस्थान : राजस्थान में अनाज मंडियां बंद रहेंगी लेकिन आपात सेवाएं जारी रहेंगी। सूबे की 247 अनाज मंडियां बंद रखने का फैसला किया गया है। पेट्रोल पंप, अस्पताल, मेडिकल स्टोर खुले रहेंगे।
झारखंड और महाराष्ट्र : झारखंड में परीक्षाएं टाल दी गई गई हैं। इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर बाकी के बंद रहने का अनुमान है। महाराष्ट्र एसटी बसें बंद रखने की बात सामने आ रही है। अस्पताल और मेडिकल स्टोर खुले रहेंगे।
कृषि मंत्रालय में दिनभर बैठकों का दौर
किसान नए कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग कर रहे हैं। इस मसले पर सरकार और किसान संगठनों के बीच नौ दिसंबर को छठे दौर की बातचीत होनी है। बड़ी बात यह कि किसानों ने सरकार की ओर से मांगे गए एतराज वाले बिंदुओं की सूची और ठोस सुझाव नहीं भेजे हैं। किसानों के आंदोलन के मसले पर कृषि मंत्रालय में सोमवार को पूरे दिन बैठकों का दौर चलता रहा। सूत्रों की मानें तो देर शाम को तैयार प्रस्तावों पर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बीच बातचीत भी हुई। देखना यह है कि कितनी जल्द किसानों का आंदोलन खत्म होता है….