India China news: भारत की चीन को दो टूक, पीछे हटने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं

- चीन से बातचीत में भारत ने साफ कर दिया अपना रुख
- 5 मई से पहले वाली स्थिति से कम कुछ भी मंजूर नहीं
- भारत की राय, उकसावे से बाज आए चीन, बातचीत करे
- बल का प्रयोग करने से नहीं हिचकेगा भारत, ड्रैगन को साफ संदेश
नई दिल्ली
भारत ने चीन से दो टूक कहा है कि पीछे हटने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं है। पैंगोंग और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर जहां-जहां चीनी सेना मौजूद है, उसे पीछे जाना ही होगा। भारत को सीमा 5 मई से पहली वाली स्थिति से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। दोनों देशों के बीच मिलिट्री कमांडर लेवल मीटिंग में भारत ने यह बात साफ कर दी। मंगलवार को बातचीत सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई लेकिन भारत का संदेश साफ था कि चीन के पीछे हटने पर कोई समझौता नहीं हो सकता। एक सूत्र ने कहा कि भारत की टोन ऐसी थी कि चीन को इस बारे में कोई शक नहीं रहेगा।
‘LAC पर बातचीत करे चीन, उकसाए नहीं’
दोनों देशों के आधिकारिक बयानों में डिसएंगेजमेंट के जटिल और लंबे वेरिफिकेशन प्रोसेस का जिक्र था। मगर भारतीय कमांडर ने मीटिंग में चीनी सेना को साफ-साफ यह बात समझा दी थी। डेप्संग में भी हालात तनावपूर्ण हैं। भारत की राय ये है कि चीन बातचीत की मेज पर बैठकर यह चर्चा करे कि LAC कहां तक है और उकसावे की हरकतों से बचे। एक सूत्र ने कहा, “यह नहीं हो सकता कि LAC कहां है इसपर चर्चा भी न हो और घुसपैठ होती रहे।”
दुनिया में अकेला पड़ चुका है चीन
शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लद्दाख में थे। यहां उनके आगे सेना ने ऊंचाई वाले इलाकों में इंटीग्रेटेड कम्बाइंड फोर्स के इस्तेमाल का नमूना पेश किया। यह साफ तौर पर चीन को संदेश था कि भारत बल प्रयोग से पीछे नहीं हटेगा और असल में इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। बातचीत से तनाव सुलझाने की कोशिशों के बीच, भारत का साफ इशारा है कि वह चीन की हरकतों का जवाब देने में देर नहीं करेगा। भारत की पोजिशन तो दुनियाभर में सपोर्ट मिला है। मित्र देशों से मिलने वाली इंटेलिजेंस बताती है कि चीन अलग-थलग पड़ चुका है।
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चीन पर बिल्कुल भरोसा नहीं करेगा भारत
भारत 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद चीन पर रत्तीभर भरोसा करने को तैयार नहीं। उसका जोर डिसएंगेजमेंट के वेरिफिकेशन पर है। पैंगोंग का उत्तरी किनारा अब भी तनाव की वजह बना हुआ है। फिलहाल चीनी सेना सिर्फ फिंगर 4 से फिंगर 5 के बीच से हटी है। भारत चाहता है कि पीएलए करीब 8 किलोमीटर पीछे सिरजप स्थित अपने बेस तक वापस जाए। भारतीय सेना फिंगर 2 और फिंगर 3 के बीच मौजूद है। दोनों देशों के बीच बनी सहमति के मुताबिक, भारतीय सैनिक फिलहाल इन पट्रोलिंग पॉइंट्स पर सामान्य पट्रोलिंग नहीं कर पा रहे हैं।
इतने हल्के टैंक कि एयरफोर्स ले जाएगी बॉर्डर पर
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सेना ऐसे टैंक खरीदना चाहती हैं जो एयर-ट्रांसपोर्टेबल हों। यानी जरूरत पड़ने पर उन्हें फारवर्ड लोकेशंस पर लैंड या एयरड्रॉप किया जा सके। चीन के पास बॉर्डर वाले इलाके में अच्छा-खासा रोड नेटवर्क है जबकि भारत अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत ही कर रहा है। ऐसे में इन टैंक्स के होने से चीनी एग्रेशन का फौरन जवाब देने में मदद मिलेगी। भारत ने सीमा से सटे कई रणनीतिक इलाकों में एयरफील्ड तैयार की हैं जहां इन टैंक्स को आसानी से पहुंचाया जा सकता है।
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लेफ्टिनेंट जनरल एबी शिवाने (रिटायर्ड) ने अपनी स्टडी में कहा है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख से सटे इलाकों में T-15/ZTPQ लाइट टैंक्स को छिपाकर रखा है। सैटेलाइट इमेजरी से इसका पता चला। उन्होंने सुझाव दिया है कि उत्तरी फ्रंट जहां मीडियम कैटेगरी के टैंक्स नहीं पहुंचते, वहां तेजी से युद्ध क्षमता बढ़ाई जाए। उन्होंने इन टैंक्स को भारत में बनाने का सुझाव भी दिया है।
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भारत में टैंक बनाना तो भविष्य की बात है। इमर्जेंसी के लिए भारत के विकल्प सीमित हैं क्योंकि बहुत कम देश ऐसे टैंक्स बनाते हैं। चीन से तो हम खरीद नहीं सकते, अमेरिका का लाइटवेट टैंक प्रोटोटाइप स्टेज में हैं। रूस के पास एयर-ट्रांसपोर्टेबल Sprut SDM1 लाइट टैंक जो बहुत कुछ T72 और T90 से मिलता-जुलता है। T72 और T90 भारत के पास पहले से ही हैं।
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भारत की टैंक क्षमता कई देशों के मुकाबले बेहतर हैं लेकिन वे मुख्य रूप से मैदानी इलाकों के लिए है। भारत के पास T72, T90 और अर्जुन टैंक हैं। इन टैंक्स को हिमालय से लगी सीमा पर तैनात किया गया है मगर पहाड़ों के बीच उन्हें चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
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भारत ने 1947-48 में कश्मीर ऑपरेशंस और 1962 में चीन से युद्ध के दौरान लाइट टैंक्स का इस्तेमाल किया था। वे उस वक्त बहुत काम आए थे मगर धीर-धीरे चलन से बाहर हो गए क्योंकि दुनिया भारी हथियारों की तरफ बढ़ रही थी।