‘भारत भाषाओं के आधार पर विभाजन बर्दाश्त नहीं कर सकता’, उपराष्ट्रपति ने क्यों कही ऐसी बात?

भारत के विभिन्न राज्यों में बीते कुछ समय से भाषा को लेकर कई विवाद सामने आते रहते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर भी भाषा को लेकर कई राज्यों में विवाद हुए हैं। अब इस मुद्दे पर भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बड़ा बयान दिया है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा है कि भारत दुनिया का एक महत्वाकांक्षी राष्ट्र है और भाषाओं के आधार पर विभाजन बर्दाश्त नहीं कर सकता है। आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर और क्या कुछ कहा है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को पांडिचेरी विश्वविद्यालय में संबोधन दिया है। उपराष्ट्रपति पांडिचेरी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को अक्षरशः लागू करने की वकालत की है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाएगी और इससे देश के विकास को भी गति मिलेगी। उपराष्ट्रपति ने NEP को न लागू करने वाले राज्यों से अपील करते हुए कहा कि वे इसे लागू करें। ये नीति महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी।
‘हम भाषाओं को लेकर कैसे विभाजित हो सकते हैं?’
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पांडिचेरी विश्वविद्यालय में कहा कि पिछले दशक में अभूतपूर्व विकास के कारण भारत दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी राष्ट्र है। उपराष्ट्रपति ने सवाल किया कि हम भाषाओं को लेकर कैसे विभाजित हो सकते हैं? उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि दुनिया में मौजूद कोई भी देश भाषाओं के मामले में भारत की तरह समृद्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि संसद में भी सदस्यों को 22 भाषाओं में बोलने की इजाजत है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत की भाषाएं समावेशिता का संकेत देती हैं। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि हमें गंतव्य को देखना चाहिए, भविष्य को ध्यान में रखना चाहिए और तूफान से उबरना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने बताई NEP की खासियत
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने NEP को दुनिया की सबसे अच्छी पॉलिसी बताया है। उन्होंने कहा कि ये नीति छात्रों को प्रतिभा और क्षमता का पूरा इस्तेमाल करने के साथ ही आगे बढ़ने और समय का सही इस्तेमाल करने का मौका देती है। उपराष्ट्रपति ने कार्यशालाओं का आयोजन कर के छात्रों को इस नीति के बारे में पूरी तरह से अवगत कराने की भी जरूरत पर जोर दिया है।