नई दिल्ली।  यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस को घेरने में जुटे अमेरिका व इसके सहयोगी देश भारत पर भी लगातार दबाव बनाने की रणनीति अपनाए हुए हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ दूसरे वर्चुअल शिखर बैठक में आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्काट मारिसन ने यूक्रेन पर हमले के लिए सीधे तौर पर रूस को जिम्मेदार ठहराया। मारिसन ने इस घटनाक्रम को हिंद-प्रशांत महासागर की स्थिति से जोड़कर पीएम मोदी से इस क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों का नेतृत्व करने का भी प्रस्ताव रखा।

शिखर बैठक में चीन के आक्रामक रवैये और हिंद प्रशांत क्षेत्र में उसकी बढ़ती गतिविधियों को लेकर भी खुल कर चर्चा हुई। दोनों देशों के बीच चीन पर आर्थिक निर्भरता कम करने और आपसी कारोबार व सैन्य सहयोग को प्रगाढ़ बनाने समेत दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत हुई। हालांकि, इस तरह की शिखर बैठक के बाद दोनों देशों की तरफ से जारी होने वाला संयुक्त बयान देर रात तक जारी नहीं किया गया था।

भारत पर दबाव बनाने की रणनीति

यूक्रेन और रूस के बीच विवाद पर भारत ने अभी तक अपनी स्वतंत्र व तटस्थ कूटनीति का पालन किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वह रूस के खिलाफ किसी भी वोटिंग में उपस्थित नहीं रहा है। साथ ही अब वह रूस से कच्चे तेल की खरीद भी कर रहा है। यह बात अमेरिका व दूसरे पश्चिमी देशों को खटक रही है।

यही वजह है कि सोमवार को अमेरिका के सहयोगी व मित्र देश आस्ट्रेलिया ने भारतीय पीएम के समक्ष रूस पर करारा प्रहार किया तो इसके दो दिन पहले जापान के पीएम फुमियो किशिदा ने पीएम मोदी के साथ मुलाकात के दौरान कहा था कि रूस हर अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन कर रहा है और किसी भी देश को यथास्थिति बदलने की छूट नहीं मिलनी चाहिए। हाल ही में कई अमेरिकी नेता भी रूस के प्रति भारत के रुख पर अपनी नाखुशी जता चुके हैं।

हिंद प्रशांत क्षेत्र पर हो सकता है यूक्रेन युद्ध का असर 

मारिसन ने कहा, ‘हमारी बैठक यूरोप में हो रहे भयंकर युद्ध की पृष्ठभूमि में हो रही है। हमारे क्षेत्र पर भी बहुत ज्यादा दबाव है जिस पर हाल ही में क्वाड (अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया व भारत के संगठन) के प्रमुखों की बैठक में चर्चा हुई थी। यह बहुत ही नि‍ंदनीय व भयंकर घटना है जिसका असर हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी देखा जा सकता है। हम इस तरह की घटनाक्रम यहां भी देख रहे हैं। यूक्रेन में आम जनता की जो मौतें हो रही हैं उसके लिए रूस को जिम्मेदार ठहराने की जरूरत है। परंतु, एक मुक्त व समान अवसर वाले हिंद प्रशांत क्षेत्र को विकसित करने के लिए एक समान विचारों वाले लोकतांत्रिक देशों के बीच सहयोग जरूरी है और मैं इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान रखने के लिए आपके (नरेंद्र मोदी) के नेतृत्व का स्वागत करता हूं।’

 

पीएम मोदी ने यूक्रेन व रूस का नहीं किया जिक्र 

जानकारों का कहना है कि आस्ट्रेलिया के पीएम ने एक कूटनीतिक दांव खेला है क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वयं हाल के दिनों में इस बात पर चिंता जताई है कि यूक्रेन में जो हुआ है उसका असर हिंद प्रशांत क्षेत्र में देखने को मिल सकता है। हालांकि इस बैठक में पीएम ने अपने संक्षिप्त सार्वजनिक बयान में यूक्रेन व रूस के हालात का जिक्र नहीं किया। पीएम मोदी ने हिंद प्रशांत क्षेत्र को सभी के लिए समान अवसर वाला बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई और आस्ट्रेलिया के साथ इस बारे में सहयोग की बात की। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय व वैश्विक स्थिरता के लिए क्वाड की सफलता जरूरी है।

क्वाड को लेकर मोदी-मारिसन की राय एक 

बाद में मीडिया को विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने बताया कि मोदी और मारिसन इस बात पर एकमत हैं कि यूक्रेन की वजह से क्वाड का ध्यान भटकना नहीं चाहिए। भारत का यह स्पष्ट तौर पर मानना है कि यूक्रेन का मुद्दा क्वाड को प्रभावित नहीं करना चाहिए। जहां तक यूक्रेन पर भारत की स्थिति का सवाल है तो आस्ट्रेलिया हमारे रुख को समझता है। पीएम मारिसन ने यह दर्शाया भी है।

मारिसन को पूर्वी लद्दाख के हालात की जानकारी दी 

श्रृंगला ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच चीन को लेकर भी बात हुई है। भारत की तरफ से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के सैनिकों के अतिक्रमण के मुद्दे पर पीएम मारिसन को बताया गया। भारत का मानना है कि सीमा पर अमन-शांति के बगैर चीन के साथ रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। आस्ट्रेलिया की तरफ से भी हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के व्यवहार के बारे में बताया गया है।यह भी बताते चलें कि इस बैठक से पहले दोनों पक्षों की तरफ से बताया गया था कि मोदी और मारिसन एक सीमित कारोबारी समझौते की घोषणा करेंगे लेकिन अब उसके टल जाने की बात कही गई है।