UNHRC में भारत का पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब, कश्मीर मुद्दा उठाने पर कहा, ‘अपने गिरेबान में झांको’

UNHRC में भारत का पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब, कश्मीर मुद्दा उठाने पर कहा, ‘अपने गिरेबान में झांको’

जेनेवा/नई दिल्ली

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को कटघरे में खड़ा करने की पाकिस्तान की कोशिश का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश की जिस पर पर्मानेंट मिशन ऑफ इंडिया के फर्स्ट सेक्रटरी सेंथिल कुमार ने पाकिस्तान से अपने गिरेबान में झांकने को कहा है। कुमार ने कहा है कि खुद नरसंहार करने वाले देश में इतनी हिम्मत है कि वह दूसरों पर आरोप लगा रहा है।

अपने यहां हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन पर ध्यान दे पाकिस्तान
जेनेवा में आयोजित मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में कुमार ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान का मानवाधिकार परिषद और उसकी प्रक्रिया का दुरुपयोग करना जारी है। उन्होंने कहा कि यह बड़ी चिंता का विषय है कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में अकेला ऐसा देश है जहां सरकार नरसंहार करती है और फिर भी उसमें इतनी हिम्मत है कि वह दूसरों पर आरोप लगा रहा है। उन्होंने कहा कि दूसरों को राय देने से पहले पाकिस्तान अपने यहां हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर ध्यान दे।

आर्टिकल 370 हटाए जाने के कोई बाहरी परिणा नहीं
पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि इस फैसले के कोई बाहरी परिणाम नहीं हुए हैं और लोग पाकिस्तान के शांति और संपन्नता को बाधित करने की कोशिशों के बावजूद आगे बढ़ रहे हैं। सेंथिल ने कहा कि यह खतरनाक है कि पाकिस्तान अब परिषद और उसकी प्रक्रिया को इसलिए अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है ताकि भारत के खिलाफ उसका संकीर्ण अजेंडा पूरा हो सके।
कट्टरवाद, खूनखराबे से बना है पाकिस्तान
उन्होंने पाकिस्तान में मानवता के खिलाफ सरकार और उसके नुमाइंदों को अपराधों पर संरक्षण देने की ओर परिषद का ध्यान दिलाया। कुमार ने सवाल उठाया कि जिस देश की विश्वसनीयता पर ही सवाल हो वह मानवाधिकारों और सेल्फ डिटरमिनेशन कैसे उठा सकता है। उन्होंने कहा, ‘यह देश धार्मिक कट्टरवाद और खून-खराबे से बना है और इसके इतिहास में हत्याएं, तख्तापलट और मोहरों के चलने के वाकये भरे पड़े हैं।’

अल्पसंख्यकों के खिलाफ ईशनिंदा कानून का गलत इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जाता है और ईशनिंदा को अल्पसंख्यकों को डराने के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया, ‘हाल ही में सिंध में दो हिंदू लड़कियों, लाहौर में एक ईसाई लड़की, चलेकी में अहमदी महिला, खैरपुर में दो प्रफेसरों का जो हाल हुआ वह ईशनिंदा कानून के जरिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाने का उदाहरण है। 2015 से अब तक पाकिस्तान में 56 ट्रांसजेंडरों की हत्याओं के खिलाफ मिला संरक्षण पाकिस्तान सरकार का चेहरा सामने लाता है।’

 

 


विडियों समाचार