विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ का सपा प्रमुख पर तंज, UP को बनाना चाहते हैं परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी का शिकार
लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र के चौथे और अंतिम दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन को संबोधित किया। विधान सभा में ‘विकसित भारत, विकसित उत्तर प्रदेश-2047’ के विजन डाक्यूमेंट पर 24 घंटे की चर्चा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के विकास का खाका पेश करने के साथ विपक्ष पर प्रहार भी किया। मुख्यमंत्री ने विपक्ष के ‘पीडीए’ नारे को ‘परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी’ करार देते हुए उनकी सीमित सोच पर तंज कसा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबका साथ सबका विकास को ध्येय में रखकर हमारी सरकार ने वर्ष 2047 तक उप्र को विकसित राज्य बनाने का संकल्प लिया। उनके विजन पर हमने प्रदेश की आर्थिक प्रगति, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और बुनियादी ढांचे के विकास का खाका खींचा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा में विजन डॉक्यूमेंट 2047 पर संबोधन के दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम लिए बिना कि लोग आगे बढ़ रहे आप परिवार तक सीमित रहना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश के परिवार डेवलपमेंट अथॉरिट (पीडीए) का शिकार बनाना चाहते हैं। प्रदेश में पहले योजनाएं व घोषणाएं तो होती थीं, मगर अमल नहीं होता था, लेकिन अब शिलान्यास के बाद उद्घघाटन और लोकार्पण भी होता है। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर शायराना अंदाज में तंज भी कसा।
मुख्यमंत्री ने बताया क्या है सपा का पीडीए
सीएम योगी आदित्यनाथ ने सपा को कहा कि आपका परिवार डेवलपमेंट ऑथोरिटी (PDA) क्या है।
“यावज्जीवेत सुखं जीवेद ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत, भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः॥”
यह चार्वाक ऋषि का भौतिकवादी दर्शन है ।
इस श्लोक का अर्थ है:
जबतक जीवन है सुख पूर्वक जीना चाहिए , चाहे इसके लिए ऋण लेकर भी घी पीना पडें तो पीना चाहिए। जब मरने के पश्चात शरीर नष्ट हो कर राख बन जाता है तो मनुष्य का फिर से आना (पूनर्जन्म) कैसे संभव हो सकता है।
अतः जब तक जीवन है उसे पूरी तरह खुलकर खुब मस्ती के साथ जीना चाहिए।
विपक्ष को बतायाा ‘कूप मंडूप’
मुख्यमंत्री ने चार्वाक का उदाहरण देते हुए विपक्ष को उनकी परिवारवादी सोच के लिए आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि आप केवल अपने परिवार तक सीमित हैं।
आपका ‘परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी’ का दृष्टिकोण स्वामी विवेकानंद के ‘कूप मंडूप’ दर्शन को चरितार्थ करता है। दुनिया प्रतिस्पर्धा के रास्ते पर आगे बढ़ रही है, लेकिन आप अभी भी परिवार तक सीमित हैं।
