रमजान में अल्लाह बंदों को दोजख से आजादी का परवाना अता करता है: असद कासमी
देवबंद [24CN]। मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि रमजान का महीना अल्लाह की रहमतों का खजाना है। जिसमें अल्लाह की बेशुमार रहमतें बरसती है। इस महीने में अल्लाह अपने बंदो के गुनाहों को माफ कर उन्हें दोजख से आजादी का परवाना अता करता है।
मौलाना ने कहा कि रोजे की हालत में इंसान खाने-पीने और जिस्मानी ख्वाहिशात से रूकता है। इस मुबारक महीने में हम दूसरों (गरीब, असहाय और जरूरतमंदों) का ख्याल भी रखें और सदका व खैरात से उनकी मदद करें। उन्होंने कहा कि हजरत मोहम्मद साहब ने फरमाया है कि जब रमजानुल मुबारक की पहली रात आती है तो अल्लाह तआला आसमान-ए-दुनिया पर तशरीफ लाते है और फरिश्तों के जरिये एलान करते है कि है कोई माफी मांगने वाला जिसको मैं माफ कर दूं, है कोई औलाद की तमन्ना करने वाला जिसे मैं औलाद की नेअमत अता कर दूं, है कोई बीमारी से शिफा मांगने वाला जिसे मेैं बीमारी से छुटकारा दे दूं। यह एलान सुबह तक होता रहता है। कितने कीमती और मुबारक हैं यह लम्हे कि देने वाला खुद आवाज लगा रहा है।
मौलाना असद कासमी ने कहा कि रोजा रमजान की अहम इबादत है रोजे के जरिये तकवा (बुरे कामों से बचना और नेक काम करना) असली इबादत ही नही बल्कि इबादतों की रूह है। रोजा ऐसी इबादत है जो रूहानी और जिस्मानी एतबार से इंसान के लिए फायदेमंद है। इस महीने की बरकतों और रहमतों को जमकर लूटना चाहिए।