मजलिस में हजरत हुर्र अलैहिस्सलाम की शहादत की शहादत पर रोशनी डाली गयी

मजलिस में हजरत हुर्र अलैहिस्सलाम की शहादत की शहादत पर रोशनी डाली गयी
  • सहारनपुर में मजलिस में बोलते हुए धर्मगुरू।

सहारनपुर। मोहर्रम की 4 तारीख रात में नगर के विभिन्न इमाम बारगाहों में आयोजित मजालिस में मुस्लिम धार्मिक विद्वानो ने हजरत हुर्र अलैहिस्सलाम की शहादत पर रोशनी डाली गयी। मजालिस में सबसे पहले मरसिए खानी की गयी मरसिया पढने वालो मे आसिफ अल्वी, सलीस हैदर काजमी, हमजा जैदी सलीम आब्दी, खुवाजा रईस अब्बास आदि रहे।

पहली मजलिस इमामबाड़ा सामानियान मौहल्ला कायस्थान सहारनपुर में हुई जिसको हुज्जत-उल इस्लाम आली जनाब मौलाना डाक्टर सैय्यद फतेह मुहम्मद जैदी साहब ने खिताब फरमाया। दूसरी मजलिस बडा इमामबाड़ा जाफर नवाज में हुई जिसको हुज्जत-उल इस्लाम आली जनाब मौलाना मिर्जा जावेद साहब ने खिताब फरमाया। तीसरी मजलिस छोटा इमामबाड़ा अन्सारियान में हुई जिसको हुज्जत-उल इस्लाम आली जनाब मौलाना सैय्यद मीसम नकवी साहब ने खिताब फरमाया। चैथी मजलिस पुराना कलसिया रोड़, सादात कालोनी स्थित मरकज इमाम जाफर ए सादिक अलैहिस्सलाम में हुज्जत-उल इस्लाम आली जनाब मौलाना वासिफ काजमी ने खिताब फरमाया। मजालिस में बयान किया गया कि जब हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का काफला करबला के रास्ते में ही था तब यजीद ने अपने सिपेहसालार हुर्र को हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व काफिले को बन्दी बना कर करबला लाने को भेजा हुर्र का लश्कर हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को तलाशता हुआ हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के काफिले तक पहुचा तो हुर्र का लश्कर प्यास से बेहाल हो चुका था। हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने हुर्र के लश्कर की हालत देखते हुए अपने साथियों से कहा कि तुम हुर्र के लश्कर को पानी से सैराब करो और हुर्र के लश्कर को पानी पिलाया गया जो हुर्र के साथ घोडे थे। उन्हें भी पानी से सैराब किया गया।

हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने लश्कर का सारा पानी हुर्र के लश्कर को पिला दिया पानी पीने के बाद हुर्र ने हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व उनके लश्कर को बन्दी बनाकर मैदाने करबला ले आया था। उसके बाद जब यजीद ने हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के लश्कर का पानी बन्द कर दिया और बच्चे प्यास से तडपने लगे तब हुर्र को शर्मिन्दा होना पडा और अपनी खता मानते हुए हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पास अपने भाई, बेटे के साथ आया और हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से अपनी खता को मानते हुए माफी मांगी।

तब हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जनाबे हुर्र को माफ कर दिया। उसके बाद हजरत हुर ने हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की तरफ से यजीद के खिलाफ जंग लडी और करबला में सब से पहले शहीद हुए। मजालिस के आखिर मे नौहा खानी की गयी जिसमे अन्जुमने अकबरिया व अन्जुमने इमामिया व अन्जुमने सोगवारे अकबरिया ने नौहा खानी व सीनाजनी की।