घाना की संसद में बोले PM मोदी, लोकतंत्र हमारे लिए सिस्टम नहीं, संस्कार है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को घाना गणराज्य की संसद को संबोधित किया। घाना गणराज्य की संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित करते हुए मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। घाना में होना सौभाग्य की बात है, यह एक ऐसी भूमि है जो लोकतंत्र की भावना को प्रसारित करती है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में, मैं अपने साथ 1.4 बिलियन भारतीयों की सद्भावना और शुभकामनाएं लेकर आया हूँ। घाना को सोने की भूमि के रूप में जाना जाता है, न केवल आपकी मिट्टी के नीचे जो कुछ है, बल्कि आपके दिल में जो गर्मजोशी और ताकत है, उसके लिए भी।
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कल शाम का अनुभव बहुत ही मार्मिक था, मेरे प्रिय मित्र राष्ट्रपति जॉन महामा से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करना सम्मान की बात है…भारत के 1.4 अरब लोगों की ओर से मैं इस सम्मान के लिए घाना के लोगों को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि आज सुबह मुझे हमारे दूरदर्शी और राजनेता तथा घाना के प्रिय पुत्र डॉ. क्वामे नक्रूमा को श्रद्धांजलि अर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने एक बार कहा था कि हमें एकजुट करने वाली ताकतें उन अतिरंजित प्रभावों से कहीं अधिक बड़ी हैं जो हमें अलग रखती हैं। उनके शब्द हमारी साझा यात्रा का मार्गदर्शन करते रहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा किस भारत लोकतंत्र की जननी है। हमारे लिए लोकतंत्र महज एक व्यवस्था नहीं है; यह हमारे मौलिक मूल्यों का हिस्सा है। लोकतंत्र हमारे लिए सिस्टम नहीं, संस्कार है। भारत में 2,500 से ज़्यादा राजनीतिक दल हैं, 20 अलग-अलग पार्टियाँ अलग-अलग राज्यों पर शासन करती हैं, 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं, हज़ारों बोलियाँ हैं। यही वजह है कि भारत आने वाले लोगों का हमेशा खुले दिल से स्वागत किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत और घाना के इतिहास में औपनिवेशिक शासन के निशान हैं, लेकिन हमारी आत्मा हमेशा स्वतंत्र और निडर रही है। हम अपनी समृद्ध विरासत से शक्ति और प्रेरणा प्राप्त करते हैं… हमारी दोस्ती आपके प्रसिद्ध शुगर लोफ अनानास से भी अधिक मीठी है।
मोदी ने कहा कि दुनिया जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और साइबर सुरक्षा जैसे नए और जटिल संकटों का भी सामना कर रही है। पिछली सदी में बनाए गए संस्थान जवाब देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बदलती परिस्थितियाँ वैश्विक शासन में विश्वसनीय और प्रभावी सुधारों की मांग करती हैं। वैश्विक दक्षिण को आवाज़ दिए बिना प्रगति नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि अफ्रीकी संघ हमारे राष्ट्रपतित्व के दौरान जी-20 का स्थायी सदस्य बन गया। उन्होंने कहा कि दुनिया कई समस्याओं से जूझ रही है।