महामारी के खिलाफ टीकाकरण अभियान: देश में 7.86 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को दी गई कोरोना वैक्सीन
नई दिल्ली । कोरोना महामारी के खिलाफ भारत में टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बुधवार शाम छह बजे तक कुल 7.86 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है। टीका लगाए जाने के बाद अभी तक किसी लाभार्थी में गंभीर या अत्यधिक गंभीर प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
पांचवें दिन 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1.12 लाख लाभार्थियों को लगा टीका
मंत्रालय ने बताया कि टीकाकरण अभियान के पांचवें दिन बुधवार को 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शाम छह बजे तक 1,12,007 स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन दी गई। मंत्रालय ने कहा कि लाभार्थियों के आंकड़ों की वास्तविक जानकारी देर रात तक मिलेगी।
टीकाकरण के बाद सिर्फ 10 लाभार्थियों को अस्पताल में भर्ती करने की पड़ी जरूरत
मंत्रालय में प्रवर सचिव मनोहर अगनानी ने बताया कि कुल लाभार्थियों में से सिर्फ 10 में ही प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिले हैं। इन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी। इनमें चार लाभार्थी दिल्ली, दो कर्नाटक के और उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और बंगाल के एक-एक लाभार्थी शामिल हैं। हालांकि, अभी तक एक भी मरीज में गंभीर या अत्यधिक गंभीर दुष्प्रभाव नजर नहीं आया है।
स्वास्थ्यकर्मी की मौत टीके की वजह से नहीं
तेलंगाना के निर्मल जिले में 42 साल के एक स्वास्थ्यकर्मी की टीका लगाने के अगले दिन मौत हो गई। राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक जी. श्रीनिवास राव ने कहा कि प्राथमिक जांच में पाया गया है कि मौत की वजह टीका नहीं है। हालांकि, अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। स्वास्थ्यकर्मी को मंगलवार सुबह 11.30 बजे एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीका लगाया गया था। बुधवार तड़के करीब ढाई बजे उसके सीने में दर्द हुआ और सरकारी अस्पताल में सुबह साढ़े पांच बजे उसे लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
वैक्सीन सुरक्षित, डरने की जरूरत नहीं
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इसको लेकर डरने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि विज्ञानियों ने इन दोनों वैक्सीन को मंजूरी दी है। इसलिए इनसे प्रतिकूल प्रभाव को लेकर अंदाजा लगाना सही नहीं है। उन्होंने यह भी माना कि स्वास्थ्यकर्मियों में वैक्सीन को लेकर भ्रम है और वो इसके प्रभाव के बारे में जानने के लिए इंतजार कर रहे हैं। इसलिए टीका लगवाने नहीं आ रहे। टोपे ने कहा कि ऐसे लोगों से बात की जाएगी और उनके डर को दूर किया जाएगा।
असम में वैक्सीन की बर्बादी की होगी जांच
असम में कछार की डिप्टी कमीश्नर कीर्ति जाली ने कहा कि जिले के सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रखी गई कोरोना वैक्सीन के जम जाने की घटना की जांच कराई जाएगी। अस्पताल में वैक्सीन की करीब एक हजार डोज जम गई है, जिसे बहुत कम तापमान में रखा गया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस घटना से टीकाकरण अभियान पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
नेजल वैक्सीन बच्चों को देना आसान : गुलेरिया
दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बुधवार को कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों को नेजल (नाक से दी जाने वाली) वैक्सीन देने में बहुत आसानी होगी। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों में हल्का संक्रमण होगा तो वह वायरस फैला सकते हैं। अभी जो वैक्सीन आई हैं, वह बच्चों के लिए नहीं है, लेकिन भारत बायोटेक नाक से दी जाने वाली जिस वैक्सीन का ट्रायल शुरू करने वाली है, वह बच्चों को भी दी जा सकती है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के 16वें स्थापना दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले लोग चार से छह हफ्ते बाद वैक्सीन ले सकते हैं।