ईडी के खुलासे पर आईजी ने गठित की टीम, खंगाला पीएफआई का रिकॉर्ड, सामने आई ये बड़ी बात
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हिंसा करने वाले लोगों व केरल के चरमपंथी इस्लामी संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बीच कनेक्शन का खुलासा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने किया है। इसके बाद आईजी मेरठ ने हिंसा के मामले में दर्ज मुकदमों की खुद मानिटरिंग करने की बात कही है।
मेरठ में लिसाड़ीगेट और हापुड़ रोड पर 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद हिंसा हुई। इसमें छह लोगों की मौत हुई थी। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि हिंसा कराने के पीछे पीएफआई है। मेरठ पुलिस ने पीएफआई से जुड़े चार आरोपियों को जेल भेज दिया। पुलिस ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हैं। सोमवार को ईडी ने खुलासा किया हिंसा करने के लिए पीएफआई संगठन ने कई लोगों के एकाउंट में करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए हैं। इसके बाद मेरठ पुलिस की नींद टूटी है। मेरठ की हिंसा में लिसाड़ीगेट, नौचंदी, देहलीगेट, नौचंदी, ब्रह्मपुरी थाने में 18 मुकदमे दर्ज हैं।
आईजी मेरठ रेंज प्रवीण कुमार ने बताया कि हिंसा से जुड़े सभी मुकदमों की मानिटरिंग वह खुद करेंगे। इसको लेकर आईजी ने एक टीम गठित की है। सभी मुकदमों की जानकारी मांगी गई है। इसको लेकर जवाब तैयार किया जा रहा है। खासतौर पर गोली चलाने वाले आरोपियों की पुलिस ने कुंडली खंगाली है, जो पीएफआई से जुड़े हैं।
शास्त्रीनगर में रहकर फैलाया नेटवर्क
हापुड़ रोड स्थित शास्त्रीनगर सेक्टर-11-12 में पीएफआई का ऑफिस खुला था। जहां से संगठन के सदस्य लिसाड़ीगेट, कोतवाली, ब्रह्मपुरी और नौचंदी इलाके में अपना नेटवर्क फैला रहे थे। नौ सितंबर को अयोध्या प्रकरण में फैसला आने के बाद पीएफआई सक्रिय हुआ था। सीएए लागू होने के बाद 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद हिंसा करने की प्लानिंग पीएफआई ने बनाई थी। अवैध हथियार भी उपलब्ध कराए। पुलिस ने मेरठ में पीएफआई के लीडर परवेज को नामजद किया हुआ है। उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।