‘अगर हमने चीटिंग की होती तो…’, पंजाब चुनाव में AAP की बंपर जीत पर अरविंद केजरीवाल का बड़ा बयान

‘अगर हमने चीटिंग की होती तो…’, पंजाब चुनाव में AAP की बंपर जीत पर अरविंद केजरीवाल का बड़ा बयान

पंजाब जिला परिषद और ब्लॉक समितियों के चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को बंपर जीत मिली है. वहीं, दूसरे स्थान पर कांग्रेस और तीसेर पर शिरोमणि अकाली दल रहे. इस जीत पर खुशी जताते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस की और पंजाब की जनता को धन्यवाद दिया. इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने बड़ा बयान दिया.

अरविंद केजरीवाल ने इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण चुनाव में किसी तरह का घपला, धोखेबाजी या धक्काशाही नहीं हुई है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “साल 2013 और 2018 में ग्रामीण क्षेत्रों के जो चुनाव हुए थे, वो केवल धक्काशाही से हुए थे. न ही कोई वीडियोग्राफी की गई थी और न ही को डेटा लिया गया था. इस बार जो चुनाव हुए हैं, वो फ्री और फेयर इलेक्शन हैं. पूरे मतदान और काउंटिंग की वीडियोग्राफी की गई है. अरविंद केजरीवाल ने कहा, “मैं आपके सामने ऐसा सबूत पेश कर रहा हूं जो दिखाता है कि चुनाव कितने फेयर हुए हैं.”

डेटा दिखाते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, 580 सीटें ऐसी हैं जो 100 से कम मार्जिन के वोट से जीती गई हैं. इनमें से 261 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है और 319 सीटें विपक्ष ने जीती हैं. अगर पिछली बार के चुनाव जैसे इस बार भी धक्काशाही होती, अगर हमने मशीन का दुरुपयोग किया होता, विपक्ष की ये 319 सीटें भी हमारे पास होतीं.

अरविंद केजरीवाल का कहना है कि इस बार मान सरकार के चार साल पूरा होने के बाद लोकल बॉडी इलेक्शन हुए हैं. ऐसे में यहां एंटी-इन्कंबेंसी फैक्टर नहीं बल्कि ‘प्रो-इन्कंबेंसी फैक्टर’ दिखाई देता है. लोग मान सरकार के काम से बहुत खुश दिख रहे हैं. इसलिए शिअद और कांग्रेस से आप की तुलना सही नहीं है.

‘AAP के लिए प्रो इन्कंबेंसी फैक्टर’- अरविंद केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल का कहना है कि इस बार मान सरकार के चार साल पूरा होने के बाद लोकल बॉडी इलेक्शन हुए हैं. ऐसे में यहां एंटी-इन्कंबेंसी फैक्टर नहीं बल्कि ‘प्रो-इन्कंबेंसी फैक्टर’ दिखाई देता है. लोग मान सरकार के काम से बहुत खुश दिख रहे हैं. इसलिए शिअद और कांग्रेस से आप की तुलना सही नहीं है.

‘पंजाब की सरकार भगवंत मान से खुश’

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने आम आदमी सरकार के काम पर अपनी मुहर लगाई है. 2013 में ब्लॉक समति, जिला परिषद आदि के जो चुनाव हुए थे, वो 2012 के एक साल बाद हुए थे. यानी साल 2012 में अकाली दल की सरकार बनने के एक साल बाद, उनके हनीमून पीरियड के बाद चुनाव हुए. 2018 के चुनाव कांग्रेस की सरकार बनने के एक साल बाद हुए. दोनों बार सिटिंग सरकार की ही जीत हुई थी. हालांकि, इस बार ऐसा नहीं है. यह वाला चुनाव पंजाब में नई सरकार आने से एक साल पहले हुआ है. यानी जनता ने मान सरकार के काम पर मुहर लगाई है.


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