सरकार चाहे तो किसानों को दिला सकती है 600 रूपए प्रति कुंतल गन्ने का मूल्य
- सहारनपुर में भाकियू वर्मा की बैठक को सम्बोधित करते राष्ट्रीय संयोजक भगतसिंह वर्मा।
सहारनपुर [24CN]। पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भारतीय किसान यूनियन वर्मा के राष्ट्रीय संयोजक भगतसिंह वर्मा ने कहा कि यदि भाजपा की योगी सरकार ईमानदारी से चाहे तो प्रदेश के गन्ना किसानों को चीनी मिलों से गन्ने का लाभकारी मूल्य 675 रूपए प्रति कुंतल नगद दिला सकती है।
भगतसिंह वर्मा देवबंद तहसील के गांव बेगमपुर में आयोजित किसानों की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि खाद, कीटनाशक, डीजल व कृषि यंत्र लगातार महंगे होने के कारण गन्ने की लागत बढ़ती जा रही है। एक कुंतल गन्ने की पैदावार पर 450 रूपए प्रति कुंतल लागत आ रही है। इस हिसाब से हरित क्रांति के जनक व कृषि वैज्ञानिक डा. एम. एस. स्वामीनाथन के अनुसार किसानों की फसलों की सभी लागत जोड़कर किसानों को 50 प्रतिशत लाभ सरकार को दिलाना चाहिए। इस हिसाब से गन्ने का मूल्य 675 रूपए प्रति कुंतल होना चाहिए।
वर्मा ने कहा कि एक कुंतल गन्ने से 12 किग्रा से लेकर 14 किग्रा तक चीनी बन रही है और साढ़े चार किग्रा सीरा बन रहा है, 30 किग्रा खोई बन रही है। खेाई से चीनी मिलें बिजली बना रही है। उन्होंने कहा कि साढ़े चार किग्रा फ्रैसमार्ट बन रही है। इन सभी के रेट 1500 रूपए प्रति कुंतल बैठते हैं। इस हिसाब से किसानों को गन्ने का मूल्य 600 रूपए प्रति कुंतल मिलना चाहिए।
भगतसिंह वर्मा ने कहा कि 1967 में चौ. चरणसिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उस समय गन्ने का मूल्य 12 रूपए प्रति कुंतल था। उसी समय प्राइमरी स्कूल के अध्यापक का वेतन 70 रूपए प्रति माह था जो आज एक हजार गुणा बढ़कर प्रतिमाह 70 हजार प्रति माह से अधिक हो गया है। इस हिसाब से गन्ने का मूल्य 12 हजार रूपए प्रति कुंतल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि 1967 को आधार वर्ष माना जाए तथा उस समय कृषि यंत्र, डीजल, खाद, बीज, सीमेंट, लोहा आदि का हिसाब जोड़ा तो इस हिसाब से भी गन्ने का मूल्य 5 हजार रूपए प्रति कुंतल होना चाहिए।
प्रदेश सचिव आसिम मलिक ने कहा कि यदि प्रदेश सरकार ने इस बार गन्ने का लाभकारी मूल्य 600 रूपए प्रति कुंतल न किया तो प्रदेश के गन्ना किसान सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। बैठक की अध्यक्षता नीरज सैनी प्रधान व संचालन मांगेराम यादव ने किया। बैठक में ऋषिपाल सिंह, प्रधान दुर्गासिंह सैनी, संदीप सैनी, दिनेश पाल, सुंदरपाल, चंदू, अंगरेज, शीतल पाल, मुकेश सैनी, बलदेव सैनी, यशपाल सैनी, ब्रह्मपाल सैनी, मुकुल सैनी आदि मौजूद रहे।
