राज्यसभा में नागरिकता विधेयक की अग्नि परीक्षा आज, यहां पारित हुआ तो बदलेगा कानून
खास बातें
- शिवसेना की ‘न’ के बाद भी सरकार की राह आसान, संख्या बल समर्थन में
- विपक्ष सरकार को वाकओवर देने के मूड में नहीं, करीब 20 संशोधन प्रस्तावित
- बहुमत के लिए चाहिए 120 वोट, सरकार के पास 124, विपक्ष के पास 108
- लोकसभा में विधेयक के समर्थन में पड़े 293 और विरोध में पड़े थे 82 मत
लोकसभा में पहली परीक्षा पास करने के बाद नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार की अग्निपरीक्षा बुधवार को होगी। गृह मंत्री अमित शाह दोपहर दो बजे संशोधन बिल राज्यसभा में पेश करेंगे। इस बीच लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना के यूटर्न और जदयू में खटपट के बाद हालांकि विपक्ष का हौसला बढ़ा है, मगर इसके बावजूद संख्या बल सरकार के साथ है। बिल पर राज्यसभा की मुहर लगते ही तीन पड़ोसी देशों के गैरमुस्लिम अल्पसंख्यकों की भारत की नागरिकता हासिल करने की राह आसान हो जाएगी।
सोमवार को सरकार ने प्रचंड समर्थन और विपक्ष में बिखराव की बदौलत बिल को आसानी से पारित करा लिया था। हालांकि उच्च सदन की तस्वीर दूसरी है। इस सदन में विपक्ष लोकसभा की तुलना में ज्यादा मजबूत है तो दूसरी तरफ सरकार को अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं है। इस सदन में सरकार की सारी उम्मीदें लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाले राजग के बाहर के दलों मसलन बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस के अलावा मनोनीत और निर्दलीय सांसदों पर टिकी है। इस बीच जदयू में बिल के समर्थन के सवाल पर शुरू हुई खटपट और शिवसेना के समर्थन के सवाल पर यूटर्न से विपक्ष को हौसला हासिल हुआ है।
शिवसेना के यू टर्न का मतलब
जदयू में खटपट का अर्थ
अनुपस्थिति से भी भाजपा को उम्मीद
जरूरी संख्या बल का किया जुगाड़
20 संशोधन प्रस्ताव लाएगा विपक्ष
उत्तर-पूर्वी राज्यों में अशांति की वजह भाजपा : गोगोई
असम और उत्तर-पूर्व के राज्यों में लगातार विरोध प्रदर्शन सामने आ रहे हैं। इसी स्थिति के बारे में मैंने कल गृह मंत्री अमित शाह को चेताया था कि विधेयक पारित करने के लिए उनके पास संख्या बल जरूर होगा लेकिन जब आप इस तरह से लोगों की भावनाओं को कुचल कर आप केवल उत्तर-पूर्व के लोगों को निशाना बना रहे हैं।
गोगोई ने कहा कि छात्रों, प्रोफेसरों, सरकारी अधिकारियों और किसानों के साथ-साथ एक सामान्य मजदूर भी इन प्रदर्शनों में भाग ले रहा है। उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने भरोसा खो दिया है क्योंकि इस पार्टी ने सबको धोखा दिया है। भाजपा नागरिकता संशोधन विधेयक के नाम पर केवल अपनी राजनीति करना चाहती है। शांति और विकास से उनका कोई लेना देना नहीं है।’