नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि हमें सप्लाई चेन से लेकर तैयार वस्तुओं तक के लिए आयात पर अपनी निर्भरता घटानी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो नहीं तो अर्थव्यवस्था का जो पुनरुत्थान हुआ है और रिकवरी में जिस तरह की तेजी है, वह खतरे में पड़ सकती है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि अगर हम नई तकनीक व निवेश की बदौलत ऊर्जा व अन्य क्षेत्रों में अपने आयात बिल को कम करने में सक्षम हो जाते हैं तो हम गरीबी भी दूर कर सकेंगे। आयात बिल कम करने की स्थिति में होने वाली बचत का उपयोग आर्थिक विषमता दूर करने में किया जा सकता है। अर्थव्यवस्था में तेजी आने से श्रमिक अब अपनी मजदूरी के लिए मोलभाव की स्थिति में आ गए हैं।
वित्त मंत्री ने देश के उद्यमियों से कहा कि यह नए निवेश का बिल्कुल सही समय है। सप्लाई चेन के लिए दूसरों पर निर्भरता के साथ तैयार माल का आयात घटाने के लिए उन्हें आगे आना होगा। जब खपत का बाजार भारत में है तो सप्लाई चेन के लिए इस बाजार पर दूसरे को हावी नहीं होने दिया जा सकता है। उद्यमी सप्लाई चेन के निर्माण के लिए कंपोनेंट ला सकते हैं, लेकिन पूरी तरह से तैयार माल लाना ठीक नहीं है। सप्लाई चेन तैयार करने के लिए उद्यमी नई तकनीक के साथ सक्षम उद्यमी को पार्टनर बना सकते हैं।
इस काम में नीतिगत स्तर पर आने वाली रुकावटों को दूर करने के लिए सरकार हमेशा उनके साथ है। उद्योग संगठन सीआइआइ के एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने कहा कि उद्यमियों के लिए अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार करने और नए उद्योग को खड़ा करने का यह सुनहरा अवसर है, क्योंकि अभी बाजार में भारी मांग है। इस मांग की पूर्ति को हम आयात के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं। देश दहाई अंकों की विकास दर की ओर है। इस वर्ष त्योहारी सीजन में 16 अक्टूबर से सात नवंबर तक चुनिंदा सेक्टरों के लिए 76,011.79 करोड़ रुपये के लोन वितरित किए गए।
यह बताता है कि अर्थव्यवस्था में कितनी मांग है।सीतारमण ने नए दौर के उद्योग से उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि ये उद्योग प्रमुख क्षेत्रों के लिए मांग का सृजन करेंगे। सभी सेक्टर को नई तकनीक अपनाने की जरूरत है। गत 12 महीनों में देश के 36 स्टार्ट-अप्स यूनीकार्न बन गए। उन्होंने कहा कि सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च कर रही है। चालू वित्त वर्ष में इसके लिए 5.54 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया है जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक है। भारत जलवायु परिवर्तन से जुड़ी शर्तो के पालन के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन इसके लिए हमें जीवाश्म ईधन का प्रयोग घटाना और सौर ऊर्जा को अपनाना होगा।