‘देश में अंग्रेजी बोलने वालों को आएगी शर्म’, ऐसा क्यों बोले गृहमंत्री अमित शाह

नई दिल्ली। राष्ट्र की पहचान की आत्मा के रूप में भारतीय भाषाओं के महत्व पर जोर देते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि भारत की भाषाई विरासत को पुनः प्राप्त करने और देशी भाषाओं पर गर्व के साथ दुनिया का नेतृत्व करने का समय आ गया है।
यही कारण है कि 2047 तक हम शिखर पर होंगे और हमारी भाषाएं इस यात्रा में प्रमुख भूमिका निभाएंगी। पूर्व सिविल सेवक, आईएएस आशुतोष अग्निहोत्री द्वारा लिखित पुस्तक पर बोलते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण में बदलाव की जरूरत है।
शाह ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्हें हमारी व्यवस्था में सहानुभूति लाने के लिए शायद ही कभी प्रशिक्षित किया जाता है। शायद इसलिए क्योंकि ब्रिटिश काल ने इस प्रशिक्षण मॉडल को प्रेरित किया। मेरा मानना है कि अगर कोई शासक या प्रशासक बिना सहानुभूति के शासन करता है, तो वह शासन के वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकता।” उन्होंने साहित्य की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि यह हमारे समाज की आत्मा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब हमारा देश घोर अंधकार के युग में डूबा हुआ था, तब भी साहित्य ने हमारे धर्म, स्वतंत्रता और संस्कृति के दीप जलाए रखे। जब सरकार बदली, तो किसी ने इसका विरोध नहीं किया। लेकिन जब भी किसी ने हमारे धर्म, संस्कृति और साहित्य को छूने की कोशिश की, हमारा समाज उनके खिलाफ खड़ा हुआ और उन्हें हरा दिया। साहित्य हमारे समाज की आत्मा है।