‘मैं सार्वजनिक माफी मांगने के लिए तैयार’, सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि केस की सुनवाई पर बोले स्वामी रामदेव
नई दिल्ली: स्वामी रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. सुप्रीम कोर्ट में आज फिर पतंजलि के विज्ञापन मामले में योग गुरु स्वामी रामदेव के माफीनामे पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे. रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्ला की बेंच ने पतंजलि मामले की सुनवाई की. रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन के लिए अखबार में सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने की पेशकश की. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि पतंजलि की माफी अभी स्वीकार नहीं की गई है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमा कोहली ने स्वामी रामदेव से कहा कि आप लोकप्रिय हैं. योग के क्षेत्र में आपने काफी काम किया है. आप बिजनेस भी करने लगे. शीर्ष कोर्ट ने बाबा रामदेव से सीधा सवाल किया कि आपको माफी क्यों दी जाए.. इस पर स्वामी रामदेव ने कोर्ट से कहा कि मैं आगे से जागरूक रहूंगा, मैं जानता हूं कि करोड़ों लोग मुझसे जुड़े हुए हैं.’ कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, ‘आपने हमारे आदेश के बाद ये सब कुछ किया. आपको मालूम है कि लाइलाज बीमारियों का आप विज्ञापन नहीं कर सकते हैं. कानून सबके लिए समान है.’
अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी
कोर्ट में जब रामदेव ने माफी मांगी तो जस्टिस कोहली ने रामदेव को फटकार लगाते हुए कहा कि आप आज माफी मांग रहे हैं, ऐसा नहीं चलता है. आपका ट्रैक रिकॉर्ड खराब है, हम इस पर विचार करेंगे कि आपकी माफी स्वीकार की जाए या नहीं. आपने लगातार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया हैं. वहीं जस्टिस अमानुल्ला ने कहा कि आप दिल से माफी नहीं मांग रहे हैं. मामले की अगली सुनवाई अब 23 अप्रैल को होगी. उसी दिन तय होगा कि शीर्ष कोर्ट से रामदेव को माफी मिलती है या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को लगाई थी फटकार
बता दें कि 10 अप्रैल को भी सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि केस की सुनवाई हुई थी. इस दौरान कोर्ट ने स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने रामदेव की माफी को अस्वीकार करते हुए कहा था कि आप हलफनामे में धोखाधड़ी कर रहे हैं. कोर्ट ने बिना शर्त माफी के रामदेव के हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. जस्टिस हीमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि आपने तीन-तीन बार हमारे आदेशों की अनदेखी की है आपको इसका खामियाजा भुगतना होगा. बेंच ने कड़े शब्दों में कहा कि हम अंधे नहीं हैं. सबकुछ दिख रहा है.