मुझे ये तो खुशी होती बहादुर है मेरा दुश्मन: चांद देवबंदी

- उर्दू दिवस के अवसर पर अदबी संस्था बज्म-ए- अदब ने कार्यक्रम कर उर्दू की खिदमत करने वाले लोगों को सम्मानित किया। इस दौरान शेरी नशिस्त का भी आयोजन हुआ।
देवबंद [24CN] : सोमवार को मोहल्ला लाल मस्जिद स्थित चांद देवबंदी के आवास पर आयोजित कार्यक्रम का उदघाटन समाजसेवी अयूब बेग ने फीता काटकर व डा. एसए अजीज ने शमा रोशन कर किया। कार्यक्रम में उर्दू सेवा के लिए मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध शायर अरशद जिया व मो.अहमद को शान-ए-अदब अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। डा. सादिक देवबंदी को गजल संग्रह कोई आंखों में रहता है के लिए अल्लामा इकबाल अवार्ड से नवाजा गया। शेरी नशिस्त में शायर अरशद जिया ने पढ़ा..मुद्दत के बाद भाई की कुरबत हुई नसीब, अच्छा हुआ जो सहन की दीवार गिर गई।
डा. शमीम देवबंद ने कहा..दुनिया उसके साथ लगी, बाजी मेरे हाथ लगी। चांद देवबंदी ने पढ़ा..बजाए पीठ के मेरी तू करता वार सीने पर, मुझे ये तो खुशी होती बहादुर है मेरा दुश्मन। जोवद आसी ने कुछ यूं कहा..उर्दू का मुसाफिर है लुटाता हुआ खुशबू, इक लम्हें में सदियों का सफर काट रहा है। इनके अलावा मो. अहमद, डा. अदनाम, सरवर देवंबदी, नफीस अहमद, अब्दुल्लाह राज, चैकस देवबंदी, डा. सादिक, नूर हसन, हसरत देवबंदी, शमीम किरतपुरी ने भी अपना कलाम पेश किया। अध्यक्षता डा. शमीम देवबंदी व संचालन जिगर देवबंदी ने किया। इस मौके पर जीशान नजमी, सलीम ख्वाजा, नजम उस्मानी, मुमताज अहमद, एम सलीम अंसारी, फैसलनूर शब्बू, जर्रार बेग, अंसार मसूदी आदि मौजूद रहे।