हुजूरी हमारा काम नहीं, हम किसी शाह के गुलाम नहीं।

- एमएसके इवेंट ऑस्ट्रेलिया के बैनर तले हुआ मुशायरा
देवबंद [24CN]: एमएसके इवेंट ऑस्ट्रेलिया के बैनर तले मुशायरे का आयोजन हुआ। जिसमें शायरों ने देर रात्रि तक उम्दा कलाम सुनाकर श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी। उद्घाटन समाजसेवी सैयद हारिस व शमा रोशन समाजसेवी नौशाद कुरैशी ने की।
इस्लामिया ग्रुप ऑफ कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित मुशायरे की शुरुआत शायर नदीम अनवर की नात-ए-पाक से हुई। इसमें उस्ताद शायर शम्स देवबंदी ने पढ़ा..जी हुजूरी हमारा काम नहीं, हम किसी शाह के गुलाम नहीं। कैराना से आए शायर कौसर जैदी ने कुछ यूं कहा..बेजमीर लोगों के मश्वरों की जद में हैं, हम हैं आईना लेकिन पत्थरों की जद में हैं। अंसार सिद्दीकी ने कहा..साकी की बात है न सुराही की जाम की, अब मयकदा है जद में सियासी निजाम की। आजमगढ़ की शायर चांदनी शबनम ने कुछ यूं बयां किया..जहां भी जाऊं वहीं कामयाब रहती हूं, जो मेरे अपने है उनको यही तो खलता है। जावेद आसी ने पढ़ा..मुल्क की इज्जत के क्या मायने हवस खोरों के बीच, फैसला रोटी का बंदर के हवाले कर दिया।
अमजद खान ने तंज कसते हुए पढ़ा..अमीरों को सताती है बहुत सर्दी भी गर्मी भी, गरीबों को किसी मौसम में दुश्वारी नहीं होती। सुहैल आतिर ने कहा..हमारे दुश्मनों को अब कोई जहमत नहीं होगी, हमें बर्बाद करने को हमारे यार बैठे हैं। शाह नहतौरी ने कुछ यूं कहा..हालात ने मार दिया जीते जी मुझे, जिंदा हूं इसलिए के कई जिंदगी बचे। फैज खुमार बाराबंकी ने पढ़ा..विरासत जो मुझको बड़ों से मिली है, मैं उसकी हिफाजत किए जा रहा हूं सुनाकर देर रात्रि तक जमकर दाद बटोरी। अध्यक्षता कौसर जैदी व संचालन फैज खुमार और जावेद आसी ने संयुक्त रुप से की।
मुख्य अतिथि संगठन के चेयरमैन एम शमीम खान रहे। इसमें विभा शुक्ला, नौशार अंसारी, जुनैद सिद्दीकी, अहमद राजू, नावेद, अब्दुल्ला राज, आदिल फरीदी, गफ्फार गौड, इमरान अहमद मिर्जा, शुएब कुरैशी, अंसार, जमील आदि मौजूद रहे।