अमूल्य है मानव जीवन: महात्मा रामशरण निरंकारी

अमूल्य है मानव जीवन: महात्मा रामशरण निरंकारी
  • सहारनपुर में अम्बेहटा में ज्ञान की अमृत वर्षा करते महात्मा रामशरण निरंकारी।

अंबेहटा। संत निरंकारी मंडल हेडक्वार्टर दिल्ली से पधारे प्रचारक महात्मा रामशरण निरंकारी ने कहा कि ब्रहमज्ञान को जीवन का आधार बनाकर निरंकार से जुड़े रहना और मन में उसका प्रतिपल रुमरण करते हुए सेवाभाव को अपना कल जीवन जीना है। वास्तविक भक्ति है वतन संत एवं भक्तों का जीवन ब्रह्मज्ञान से जुड़कर ही सार्थक हो पाता है। रामशरण निरंकारी आज कस्बा अम्बेहटा में के नकुड रोड स्थित संत निरंकारी संत समागम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मानव जीवन अमूल्य जीवन है और मानव जीवन का मुख्य लक्ष्य प्रभु परमात्मा ब्रह्म ज्ञान की जानकारी कर भक्ति करना ही है। ब्रह्म को जीवन का आधार बनाकर निरंकार प्रभु परमात्मा से जुड़े रहना और मन में उसका प्रतिफल स्मरण करते हुए सेवा भाव को अपनाकर जीवन जीना ही वास्तविक भक्ति है। उन्होंने कहा कि केवल ब्रह्म ज्ञान को जानना ही मुक्ति नहीं है, अपितु उसे प्रतिफल जीना ही वास्तविक मुक्ति है। यह आस्था निरंकार को मन में बसाकर उसके रंग में रंग कर ही संभव है क्योंकि ब्रह्म ज्ञान की दृष्टि से जीवन की दशा एवं दिशा एक समान हो जाती है।

उन्होंने कहा कि जीवन में आध्यात्मिक स्वतंत्रता को उतार उदाहरण से समझाया कि जिस प्रकार शरीर में जकडऩ होने पर उसे मुक्त होने की इच्छा होती है। इसी प्रकार हमारी आसमान जन्म जन्म से शरीर में बंधन में और इस आत्मा की मुक्ति केवल निरंकार की जानकारी से ही संभव है। हमें अपनी निजी जानकारी हो जाती है तभी हमारी आत्मा मुक्त अवस्था को प्राप्त कर लेती है। उसके उपरांत ब्रह्म ज्ञान की दिव्य रोशनी मन में व्याप्त समस्त नकारात्मक भावों को मिटा कर भय मुक्त जीवन जीना सिखा दिया और तभी हमारा लोग सुखी परलोक सोहेला होता है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रांजना कोडके संयोजक धीर सिंह निरंकारी ने कहा कि जिसके हृदय में निरंकार बस जाता है। उसके मन से सभी भेदभाव मिट जाते हैं और उसके लिए संपूर्ण संसार ही एक परिवार के समान लगने लगता है। छोरे कत्व का भाव मन में बस जाता है। ब्रांच महेश्वरी कला के संयोजक महात्मा रघुनाथ ने निरंकारी की महिमा का वर्णन किया। इस अवसर पर गीतकार गुरमेज सिंह, निर्मल सिंह, संचालक मामचंद, संचालक सब्दलपुर सुनील कुमार, रामनाथ निरंकारी, सुभाष चंद्र, पवन कुमार, छोटेलाल राजेश आदि ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर बिशन सिंह, सुमेर चंद, समस्त शिक्षक राजेश, दिनेश, बबली, रेखा, स्नेह लता, रश्मि, नीरज आदि सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।