साल 2018 व 2019 में यौन उत्पीड़न, हत्या और अपहरण के कितने केस रिपोर्ट हुए? गृह मंत्रालय ने दी जानकारी
नई दिल्ली । संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साल 2018 व 2019 में यौन उत्पीड़न, मर्डर और किडनैपिंग के कितने केस रिपोर्ट हुए? इसकी जानकारी दी है। गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बुधवार को जानकारी दी कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार साल 2018 में यौन उत्पीड़न के 33 हजार 356, मर्डर के 29 हजार 017 मामले और किडनैपिंग के 1,05,734 मामले रिपोर्ट हुए। वहीं 2019 में 32 हजार 033 यौन उत्पीड़न, 28 हजार 918 मर्डर और किडनैपिंग के एक लाख पांच हजार 037 मामले रिपोर्ट हुए। मंत्रालय ने यह भी बताया कि 2019 तक के रिपोर्ट उपलब्ध हैं।
घुसपैठ की कोशिश के दौरान गिरफ्तार हुए लोगों की भी जानकारी दी
गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में 2018 से 2020 के बीच भारत में घुसपैठ की कोशिश के दौरान गिरफ्तार हुए लोगों की भी जानकारी दी है। मंत्रालय ने जानकारी दी है कि साल 2018 से 2020 के बीच 116 पाकिस्तानी नागरिकों, 2,812 बांग्लादेशी नागरिकों और म्यांमार के 325 लोगों को भारत में घुसपैठ की कोशिश के दौरान गिरफ्तार किया गया।
गृह मंत्रालय ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों से जुड़ी जानकारी भी दी
गृह मंत्रालय ने फरवरी 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगों से जुड़ी जानकारी भी दी है। मंत्रालय के अनुसार इससे संबंधित 755 एफआइआर अपराध शाखा में एसआईटी द्वारा दर्ज की गई हैं। एक मामले की जांच स्पेशल सेल द्वारा दंगों के पीछे की आपराधिक साजिश का पता लगाने के लिए की गई है। 1,829 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और 353 मामलों में आरोप पत्र प्रस्तुत किए गए हैं।
तनाव और दंगे के दौरान शांति बनाए रखने के लिए इंटरनेट बंद किया जाता है
सरकार ने बुधवार को संसद में कहा कि अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आपातकालीन स्थिति, तनाव और दंगों के दौरान इंटरनेट बंद करते हैं। राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि साइबर स्पेस काफी चुनौतियां उत्पन्न करती हैं। इसकी मदद से सूचना तेजी से आगे बढ़ती है और इसका दुरुपयोग किया जाता है। तनाव और दंगों के दौरान, दूरसंचार सेवाओं और संशोधन के अस्थायी निलंबन नियम, 2020 में परिभाषित प्रक्रियाओं के अनुसार,सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने के हित में संबंधित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में उपयुक्त अधिकारियों द्वारा दूरसंचार सेवाओं और इंटरनेट बंद किया जाता है। मंत्री ने कहा कि इंटरनेट बंद होने का केंद्रीकृत डेटा गृह मंत्रालय नहीं रखता है।