प्रयागराज । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि दुर्घटना में मारे गए किसी परिवार के गैर कमाऊ सदस्य की मानक आमदनी 25 हजार रुपये वार्षिक से कम नहीं मानी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को वाहन दुर्घटना अधिनियम के शेड्यूल दो में इस संबंध में आवश्यक संशोधन का आदेश दिया है। इसके बावजूद संशोधन नहीं किया गया है। मौजूदा समय में महंगाई की दर, रुपये की गिरती कीमत और खर्चों को देखते हुए किसी की मानक आमदनी 25 हजार रुपये से कम नहीं आंकी जा सकती है।

तीन साल पहले अनहोनी का शिकार हो गया था पुत्र

हाई कोर्ट ने कानपुर देहात के रूप लाल की अर्जी स्वीकार करते हुए मोटर वाहन दुर्घटना अधिकरण द्वारा तय किए गए मुआवजे 1,80,000 को संशोधित करते हुए पीडि़त परिवार को 4,70,000 रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है। अपीलार्थी रूप चंद्र का सात वर्षीय बेटा 18 मार्च 2018 को एक ट्रक की चपेट में आ गया था। उसकी घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई। वादी ने मोटर वाहन दुर्घटना अधिनियम के तहत अधिकरण में दावा प्रस्तुत किया। अधिकरण ने दावा स्वीकार करते हुए मृतक बच्चे की संभावित आमदनी 15 हजार रुपये स्वीकार करते हुए कुल 1,80,000 रुपये मुआवजा तय किया, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई।

सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न न्यायिक निर्णयों का हवाला

हाई कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए विभिन्न न्यायिक निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मंजू देवी केस में जो मानक तय किए हैं उसके अनुसार 15 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति की संभावित आमदनी 2,25,000 रुपये मानी है। कुर्बान अंसारी केस में सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि गैर कामऊ सदस्य की संभावित आमदनी 15 हजार रुपये तय करना अनुचित है इसलिए वाहन दुर्घटना अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए।