कश्मीरी पंडितों के जख्मों पर मरहम, पुश्तैनी जायदाद लेने का रास्ता साफ

कश्मीरी पंडितों के जख्मों पर मरहम, पुश्तैनी जायदाद लेने का रास्ता साफ
  • अब आतंकियों की हिंसा से मजबूर होकर घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) सहित सभी विस्थापितों की पुश्तैनी जायदाद वापसी की कड़ी में सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है.

श्रीनगर: मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर अनुच्छेद 370 औऱ धारा 35-ए को हटा लिया था. इस तरह ‘एक देश एक निशान’ की अवधारणा लंबे समय बाद साकार हो सकी थी. अब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं. अब आतंकियों की हिंसा से मजबूर होकर घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडित सहित सभी विस्थापितों की पुश्तैनी जायदाद वापसी की कड़ी में सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है. पुश्तैनी संपत्ति और जायदाद से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई के लिए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ऑनलाइन पोर्टल लांच किया है. इस पोर्टल पर कश्मीरी पंडित, जिनकी संपत्तियों पर कब्जे हुए हैं या जिन्हें मजबूर करके संपत्तियां खरीदी गईं हैं अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे.

लगभग 60 हजार परिवारों का पलायन 
आंकड़ों की भाषा में बात करें तो 90 के दशक में घाटी में भयानक आतंकी हिंसा के दौर में 60 हजार परिवार घाटी से पलायन कर गए थे. अपना घर-दुकान और पुश्तैनी जायदाद छोड़ने वालों में से लगभग 44 हजार विस्थापित परिवार ‘राहत संगठन, जम्मू-कश्मीर’ में पंजीकृत हैं, जबकि बाकी परिवारों ने अन्य राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में स्थानांतरित होने का विकल्प चुना. कश्मीरी हिंदुओं के साथ-साथ कई सिख और मुस्लिम परिवारों का भी इस दौरान बड़े पैमाने पर पलायन हुआ. इन विस्थापितों की अचल संपत्तियों पर या तो अतिक्रमण कर लिया गया या उन्हें अपनी संपत्ति को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर किया गया. अब उन्हें अपनी जड़ों की वापसी का रास्ता प्रशस्त हुआ है.

अतीत की गलतियां सुधारने का समय
इस पोर्टल की शुरुआत करते हुए उपराज्यपाल ने कहा, ‘मैंने पिछले 13 महीनों में विभिन्न धर्मों के कई प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की और उन्होंने स्पष्ट रूप से प्रवासियों की वापसी का समर्थन किया है. अतीत की गलतियों को सुधारने की जिम्मेदारी वर्तमान की है. उज्‍जवल भविष्य की नींव रखने के साथ-साथ यह पुराने घावों को भरने का भी समय है. मैं सभी नागरिकों से इस प्रयास में प्रशासन का समर्थन करने और भाईचारे का एक नया उदाहरण स्थापित करने का अनुरोध करता हूं.’ उपराज्यपाल ने कहा कि हिंसा ने सभी को प्रभावित किया है. उन 44 हजार प्रवासी परिवारों में से 40,142 हिंदू परिवार हैं, 2,684 मुस्लिम परिवार हैं और 1,730 सिख समुदाय से हैं. उन्होंने बताया कि पोर्टल की ट्रायल रन अवधि के दौरान 854 शिकायतें मिली हैं. यह दिखाता है कि बड़ी संख्या में प्रवासी परिवार न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं.