Hathras Case: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने केंद्र सरकार को भेजी हाथरस कांड में CBI जांच की सिफारिश

लखनऊ। हाथरस कांड में जिस तेजी से राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ रही हैं, उसी रफ्तार से जांच की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार भी कदम बढ़ा रही है। घटना की जांच के लिए एसआइटी तुरंत ही गठित कर चुकी सरकार लापरवाही के आरोप में एसपी सहित पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर चुकी है। इसी बीच शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रकरण की केंद्रीय अंवेषण ब्यूरो (सीबीआइ) से जांच कराने का फैसला किया। इसी क्रम में रविवार को प्रदेश के गृह विभाग ने सीबीआइ जांच की सिफारिश घटना संबंधी दस्तावेजों सहित केंद्र सरकार को भेज दी।
हाथरस कांड में मृत युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोप लगे हैं। मृत्यु पूर्व पीड़िता ने यही बयान दिया, जिसके आधार पर चार आरोपितों को मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जा चुका है, लेकिन पुलिस के मुताबिक पोस्टमार्टम और फोरेंसिक रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। मामले की तह तक जाने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए ही उत्तर प्रदेश की सरकार ने सीबीआइ जांच कराने का फैसला किया है।
बता दें कि अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी व डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने शनिवार को हाथरस में पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी। वे कई जनप्रतिनिधियों से भी मिले और वरिष्ठ अधिकारियों से पूरे मामले से जुड़े सभी तथ्यों की विस्तार से जानकारी जुटाई। दोनों अधिकारियों ने वापस आकर शनिवार शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हाथरस में सामने आए सभी तथ्यों के बारे में बताया, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रकरण की गहन समीक्षा कर सीबीआइ जांच कराने का फैसला लिया। युवती के परिवार ने हाथरस कांड की पड़ताल कर रही एसआइटी की जांच को लेकर असंतोष भी जताया था। हालांकि बाद में परिवार ने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने प्रकरण को लेकर हुई कार्रवाई पर संतोष जाहिर किया है।
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने हाथरस कांड का स्वत: संज्ञान लेकर अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों को 12 अक्टूबर को तलब किया है। कोर्ट ने प्रकरण में ठीक ढंग से कार्रवाई न किए जाने की दशा में किसी अन्य जांच एजेंसी को पड़ताल सौंपे जाने पर विचार करने की बात भी कही थी। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मामले में दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के कड़े निर्देश दिए थे। एक दिन पूर्व ही प्रकरण की जांच के लिए गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित एसआइटी की पहली रिपोर्ट मिलने पर हाथरस के एसपी विक्रांत वीर व तत्कालीन सीओ राम शब्द समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।