हैप्पी बर्थडे मिल्खा सिंह : महान धावक पर क्यों है देश को नाज, जानिए फ्लाइंग सिख बनने तक का सफर
- भारत में एथलेटिक्स में मिल्खा सिंह के योगदान ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से नवाजा गया. एथलीट का अंतरराष्ट्रीय करियर 1956 में शुरू हुआ जब उन्होंने मेलबर्न ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिध्त्व किया.
नई दिल्ली: मिल्खा सिंह भारत के प्रसिद्ध धावक थे जिन्होंने देश के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते. फ्लाइंग सिख (Flying sikh) के रूप में लोकप्रिय इस एथलीट ने भारतीय सेना में सेवा करते हुए अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने लगभग 2 दशकों तक अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया. आज यानी 20 नवंबर को उनकी 92वीं जयंती है. राठौर राजपूत सिख परिवार में जन्मे मिल्खा सिंह एशियाई खेलों के साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर में स्वर्ण जीतने वाले एकमात्र एथलीट (Athlete) बने थे. 1958 और 1962 में उन्होंने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते. इसके बाद उन्होंने मेलबर्न में 1965 के ओलंपिक, रोम में 1960 के ओलंपिक (olympic) और टोक्यो में 1964 के ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
भारत में एथलेटिक्स में मिल्खा सिंह के योगदान ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से नवाजा गया. एथलीट का अंतरराष्ट्रीय करियर 1956 में शुरू हुआ जब उन्होंने मेलबर्न ओलंपिक खेलों में 200 मीटर और 400 मीटर प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया. 1958 में जब मिल्खा ने कटक में भारत के राष्ट्रीय खेलों में 200 मीटर और 400 मीटर के रिकॉर्ड बनाए और एशियाई खेलों में उसी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीते.
जब फ्लाइंग सिख के पाकिस्तानी प्रतियोगी को बनाय गया था युद्धबंदी
1960 में मिल्खा सिंह को लाहौर में पाकिस्तान के धावक अब्दुल खालिक के खिलाफ खड़ा किया गया था. एथलीट ने उस धावक को हराकर रेस जीती, जिसने पहले 1954 में मनीला एशियाई खेल जीतकर इतिहास रचा था. दिलचस्प बात यह है कि अब्दुल खालिक 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान युद्ध के कैदी थे. अब्दुल खालिक वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के लिए 26 स्वर्ण और 23 रजत पदक जीतने के बाद एशिया में सबसे प्रसिद्ध एथलीटों में से एक बन गए. हालांकि, वह 200 मीटर दौड़ में मिल्खा सिंह के खिलाफ हारने के लिए भी लोकप्रिय हो गए, जिसके बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने मिल्खा को ‘द फ्लाइंग सिख ऑफ इंडिया’ की उपाधि दी थी.
पाकिस्तान में नहीं खेलना चाहते थे मिल्खा सिंह
कई रिपोर्टों के अनुसार, मिल्खा सिंह पाकिस्तान में प्रतिस्पर्धा नहीं करना चाहते थे क्योंकि विभाजन की यादें उन्हें सता रही थीं. हालांकि, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें मजबूर किया और मिल्खा ने खालिक को हरा दिया, जिसे पूर्वप्रधान मंत्री द्वारा द फ्लाइंग बर्ड ऑफ एशिया के रूप में उन्हें कहा जाने लगा. बाद में 1971 में खालिक को युद्ध बंदी बना लिया गया और कर्नल कृष्णन लाल वाही द्वारा गलती से युद्ध बंदी बना लिया जिसे बाद में उधमपुर में युद्ध के कैदी शिविर में पाया गया. बाद में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उनकी रिहाई के आदेश दिए गए थे. हालांकि, खालिक ने अपने देशवासियों के साथ रिहा होने से इनकार कर दिया था.
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह के बारे में 10 प्रमुख बातें :
1. दुनिया के महान धावक फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का 20 नवंबर 1929 को गुलाम भारत में जन्म हुआ था. वे करीब 15 भाई-बहन थे. भारत के विभाजन में मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में अपने माता-पिता और भाई-बहन को खो दिया था.
2. पाकिस्तान में पैदा हुए मिल्खा भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद शरणार्थी के तौर पर पाकिस्तान की ट्रेन से दिल्ली आ गए जहां वह शरणार्थी कैंप में रहकर कुछ दिन बिताए.
3. मिल्खा सिंह को स्कूल के दिनों से ही दौड़ में शौक रहा था. 1951 में अपने भाई के कहने पर मिल्खा सिंह ने आर्मी जॉइन की थी. उसके बाद मिल्खा ने कामयाबी की ऐसी बुलंदियां छुई जिसे आज पूरे देश को नाज है.
4. मिल्खा सिंह कॉमनवेल्थ खेल में भारत को पदक दिलाने वाले पहले भारतीय बने थे. 1958 और 1962 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था.
5. वर्ष 1960 में रोम ओलंपिक में 40 साल पुराना कीर्तिमान तोड़कर नया कीर्तिमान बनाया था. खेल में उनके योगदान देने के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया.
6. फ्लाइंग मिल्खा सिंह ने ओलंपिक खेलों में करीब 20 मेडल अपने नाम किए.
7. मिल्खा सिंह ने निर्मल कौर से शादी की थी. दोनों पहली बार कोलंबो में मिले थे. निर्मल कौर भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तानी भी कर चुकी थीं. दोनों ने 1962 में शादी की थी. इनकी 2 बेटी हैं और 1 बेटा है.
8. 1958 में मिल्खा सिंह ने एशियाई खेलों में 2 स्वर्ण पदक जीता और 1958 में
उन्होंने कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीता था.
9. 1962 में मिल्खा सिंह को पाक के जनरल अयूब खान ने फ्लाइंग सिख के नाम से पुकारा था. जिसके बाद वह फ्लाइंग सिख के नाम से विख्यात हो गए.
10. वर्ष 2001 में मिल्खा सिंह ने अर्जुन पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया था। क्योंकि उन्हें बहुत देर से वह पुरस्कार दिया गया था.