नई दिल्ली। साल 2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हराने के लिए तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर आईएनडीआईए गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में कांग्रेस के अलावा, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, सपा, डीएमके और टीएमसी जैसी कई प्रमुख पार्टियां शामिल हैं। आईएनडीआईए के नेता तमाम मुद्दों पर केंद्र की मोदी सरकार को घेर रहे हैं।

हाल ही में आईएनडीआईए के नेताओं ने मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर राज्य का दौरा कर हालात का जायजा लिया था। विपक्षी नेताओं ने बुधवार को मणिपुर दौरे के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, एनसीपी चीफ शरद पवार, AAP नेता संजय सिंह, सपा नेता रामगोपाल यादव समेत आईएनडीआईए के कई नेता मौजूद थे।

राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति से मणिपुर में अविलंब शांति और सदभाव बहाली के लिए उनसे तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति से पीएम मोदी को मणिपुर मुद्दे पर संसद में बयान देने और शांति बहाली के लिए तत्काल मणिपुर का दौरा करने का निर्देश देने की मांग की। इस मुलाकात के दौरान तो विपक्षी दलों के नेता एकजुट दिखे, लेकिन बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिसकी आईएनडीआईए नेताओं को उम्मीद नहीं थी।

गच्चा दे गए शरद पवार!

राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद खरगे पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईएनडीआईए के कई नेता मौजूद थे, लेकिन शरद पवार नदारद थे। कांग्रेस अध्यक्ष अगल-बगल झाकने लगे, उन्हें लगा कि शरद पवार आते ही होंगे, लेकिन शरद पवार पीसी में नहीं आए। हालांकि, राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान वो प्रतिनिधिमंडल के साथ थे।

आईएनडीआईए को झटका देंगे पवार?

पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान शरद पवार ने पीएम मोदी के साथ मंच साझा किया था। इस दौरान मोदी और पवार गर्मजोशी के साथ मिले। मोदी जब उनसे मिलने के लिए आए तो पवार हंसकर उनसे मिले और पीएम की पीठ पर हाथ भी रखा। मोदी और पवार की मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या बोले खरगे?

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हमारी मांगों और ज्ञापन पर राष्ट्रपति ने कहा कि वह इसे जरूर देखेंगी। हमने राष्ट्रपति से कहा कि पिछले 92 दिनों की तबाही के लिए जवाबदेही तय की जानी चाहिए। मणिपुर में 5,000 से ज्यादा घर जलाए जा चुके हैं, 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 60 हजार से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं, मगर अभी तक प्रधानमंत्री न मणिपुर गए हैं न ही इस बारे में बोला है। प्रधानमंत्री को मणिपुर जाना चाहिए।