नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराए जाने की मांग पर विचार करने से गुरुवार को मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब मूल वाद वाराणसी की अदालत में लंबित है तो फिर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर ऐसी मांग कैसे की जा सकती है। याचिकाकर्ता को वहीं अपनी मांग रखनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का रुख देखते हुए याचिकाकर्ता के वकील हरिशंकर जैन ने कानून में मिले वैकल्पिक उपाय अपनाने की बात करते हुए याचिका वापस ले ली।

वापस ली याचिका

इतना ही नहीं व्यास शैलेन्द्र कुमार की ओर से दाखिल तहखाने में पूजा-अर्चना का अधिकार मांगने वाली जनहित याचिका भी उनके वकील जैन ने कोर्ट की इजाजत से वापस ले ली। गुरुवार को ये याचिकाएं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थीं।

शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग

वकील हरिशंकर जैन ने सात महिलाओं की ओर से दाखिल याचिका पर बहस शुरू करते हुए कहा कि इसमें ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और जीपीआर सर्वे कराए जाने की मांग की गई है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब जिला अदालत में मूल वाद लंबित है तो फिर सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल रिट याचिका में इस बारे में आदेश कैसे जारी कर सकता है।

ये मांग तो मूल वाद में की जानी चाहिए

ये मांग तो याचिकाकर्ता को मूल वाद की सुनवाई में करनी चाहिए। कोर्ट ने जैन से कहा कि बेहतर होगा कि आप इस याचिका को वापस ले लें और कानून में उपलब्ध विकल्प अपनाएं। कोर्ट का रुख देखते हुए जैन ने याचिका वापस ले ली। जैन ने व्यास शैलेन्द्र कुमार पाठक की ओर से दाखिल जनहित याचिका भी वापस ले ली। इन दोनों याचिकाओं के अलावा सुप्रीम कोर्ट में राजेश मणि त्रिपाठी की भी एक याचिका सुनवाई पर लगी थी जिसमें कोर्ट से 20 मई के आदेश में संशोधन करने की मांग की गई थी।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने की गुहार

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि सावन चल रहा है उसे शिवलिंग पर जल चढ़ाने की इजाजत दी जाए कोर्ट गत 20 मई के आदेश में बदलाव करे। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कैसे याचिका दाखिल करके आदेश में बदलाव की मांग की जा सकती है। सिविल प्रोसिजर कोड के प्रविधान देखिए। कोर्ट ने त्रिपाठी से कहा कि वह अपनी याचिका वापस ले लें। इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।

जिला जज के फैसले का इंतजार करेगा सुप्रीम कोर्ट

वहीं दूसरी ओर वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए कमिश्नर नियुक्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद कमेटी अंजुमन इंतजामिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 20 अक्टूबर तक के लिए टाली दी। सुप्रीम कोर्ट मुकदमे की सुनवाई योग्यता पर वाराणसी के जिला जज के फैसले का इंतजार करेगा।

मुस्लिम पक्ष की दलील

मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी मामले में हिन्दू पक्ष की ओर से दाखिल किए गए मुकदमे पर सीपीसी के आदेश-सात नियम-11 के तहत आपत्ति उठाई है और मुकदमे पर सुनवाई किए जाने को गलत बताया है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पूजा स्थल कानून को देखते हुए हिन्दू पक्ष के मुकदमे पर विचार नहीं किया जा सकता।

कमिश्नर नियुक्त करने के सिविल जज के आदेश को चुनौती

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वाराणसी के जिला जज मुस्लिम पक्ष की सुनवाई योग्यता पर सवाल उठाने वाली अर्जी पर आजकल सुनवाई कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ही मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए केस जिला जज की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। इसके अलावा मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर रखी है जिसमें ज्ञानवापी के सर्वे के लिए कमिश्नर नियुक्त करने के सिविल जज के आदेश को चुनौती दी है।

अर्जी का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने के निर्देश

हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में यह विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए मामला सिविल जज की अदालत से ट्रांसफर करके जिला जज की अदालत में भेजा था और जिला जज को मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल की गई सुनवाई योग्यता पर सवाल उठाने वाली अर्जी का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने को कहा था।

जिला जज के फैसले का इंतजार करेगा सर्वोच्‍च न्‍यायालय

मस्जिद कमेटी का मुकदमा गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा था। कोर्ट ने पूछा कि जिला जज की अदालत में लंबित सुनवाई की क्या स्थिति है। कोर्ट को बताया गया कि सुनवाई अभी चल रही है। पीठ ने कहा कि सारा कुछ मस्जिद कमेटी की अर्जी पर आने वाले फैसले पर निर्भर करेगा। ऐसे में बेहतर होगा कि जिला जज के फैसले का इंतजार कर लिया जाए। मस्जिद कमेटी के वकील हुजेफा अहमदी ने सहमति जताई।

यथास्थिति में बदलाव का आरोप

इससे पहले पीठ ने अहमदी से यह भी कहा था कि इस याचिका का निपटारा किया जा सकता है क्योंकि जिला जज की अदालत से उनकी अर्जी पर आने वाले फैसले पर ही सारा कुछ निर्भर करेगा। लेकिन अहमदी याचिका के निपटारे के लिए राजी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि उन्हें सर्वे के लिए कमिश्नर नियुक्त किए जाने के आदेश पर आपत्ति है। कमिश्नर नियुक्त करने और सर्वे के बाद से उस धार्मिक स्थल की यथास्थिति में बदलाव हो गया है जो कि पिछले सौ सालों से कायम थी।

कमिश्नर की रिपोर्ट पर आपत्ति उठाने का अधिकार

कोर्ट को पूजा स्थल कानून को देखते हुए इस पर विचार करना चाहिए। अगर आगे जाकर कोर्ट, कमिश्नर रिपोर्ट में कही गई बातों पर भरोसा करती है तो क्या होगा या हिन्दू पक्ष उस पर भरोसा करता है तो क्या होगा। इस पर पीठ ने कहा कि कानून के मुताबिक आपको कमिश्नर की रिपोर्ट पर आपत्ति उठाने का अधिकार है। लेकिन अहमदी याचिका के निस्तारण के लिए राजी नहीं हुए उन्होंने कहा कि ये एक मामला नहीं है। वे ऐसे सभी मामलों की बात कर रहे हैं।

हाई कोर्ट का आदेश रद करने की गुहार

उनकी दलीलों पर हिन्दू पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने आपत्ति उठाते हुए कहा कि अहमदी ऐसे बहस कर रहे हैं जैसे यह जनहित याचिका हो जबकि यह विशेष अनुमति याचिका है। अहमदी ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश रद किया जाए। इसके बाद पीठ ने कहा कि वह जिला जज के फैसले का इंतजार करेंगे और मामले की सुनवाई 20 अक्टूबर तक के लिए टाल दी।