नई दिल्ली। देश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने इससे निपटने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। राज्यों को फंगस संक्रमण को महामारी कानून के तहत अधिसूचित करने के केंद्र सरकार के निर्देश के अगले दिन आइसीएमआर ने इसकी पहचान, जांच और इलाज के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं। साथ ही इसके इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवा एंफोटेरिसीन-बी का उत्पादन बढ़ाने के उपायों के साथ-साथ आयात भी शुरू कर दिया गया है।
शुरुआती लक्षणों की सूची जारी
देश के विभिन्न क्षेत्रों के 17 प्रतिष्ठित डॉक्टरों की सलाह से तैयार दिशानिर्देशों में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आइसीएमआर ने फंगस संक्रमण के शुरुआती लक्षणों की सूची दी है। ऐसे लक्षण सामने आने के बाद कोरोना के मरीजों को शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करने वाली दवाओं के साथ-साथ स्टेरायड्स का इस्तेमाल तत्काल बंद करने की सलाह दी है।
एक से डेढ़ महीने तक का लगता है समय
आइसीएमआर का कहना है कि शुरू में ही पता चलने के बाद फंगस संक्रमण का आसानी से इलाज किया जा सकता है, नहीं तो बाद में इलाज जटिल हो जाता है। आइसीएमआर के अनुसार फंसग संक्रमण को ठीक होने में एक से डेढ़ महीने तक का समय लग सकता है, तब तक मरीज को डॉक्टरों की सघन निगरानी में रखना और एंफोटेरिसीन-बी दवा देना जरूरी है।
एंफोटेरिसीन-बी की बढ़ी मांग
फंगस संक्रमण के इलाज के लिए एक मात्र दवा एंफोटेरिसीन-बी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सरकार ने युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। अभी तक देश में पांच कंपनियां देश में इसका उत्पादन करती थी और एक कंपनी आयात करती थी। शुक्रवार को सरकार पांच नई कंपनियों को इस दवा को उत्पादन करने का लाइसेंस दे दिया है।
जुलाई से बड़े पैमाने पर होगा उत्पादन
माना जा रहा है कि ये पांचों कंपनियां जुलाई से एक लाख 11 हजार वॉयल हर महीने का उत्पादन करने लगेंगी। सरकार इन कंपनियों को हर संभव सहायता कर रही है ताकि जून में ही उत्पादन शुरू हो सके। तब तक आयात से कमी पूरी की जाएगी।
दवा की उपलब्धता बनाए रखने की हो रही कोशिशें
मई में देश में पांचों कंपनियां मिलकर एंफोटेरिसीन-बी के 1,63,752 वॉयल का उत्पादन कर सकेंगी। इसके साथ ही 3,63,000 वॉयल का विदेश से आयात किया जाएगा। इससे मई महीने में कुल 5,26,752 वॉयल इलाज के लिए उपलब्ध हो सकेगा। इसी तरह से जून महीने में मौजूदा पांचों कंपनियों का उत्पादन 2,55,114 वॉयल का होगा और 3,15,000 वॉयल आयात किया जाएगा। सरकार का कहना है कि इसके अलावा दुनिया में इस दवा की उपलब्धता की खोज जारी है, ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल आयात किया जा सके।