बरेली में 150 करोड़ में बनेगा राजकीय यूनानी तिब्बिया कालेज, सबका साथ-सबका विकास के लिए सरकार का सराहनीय कदम
देवबंद/नॉएडा: सबका साथ-सबका विकास की ओर एक और कदम बढ़ाते हुए केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश को एक और उपहार दिया है। बरेली में 150 करोड़ रूपये की लागत से राजकीय यूनानी तिब्बिया कालेज की स्थापना होने जा रही है।
बरेली का यूनानी कालेज पहला कालेज है जिसकी स्थापना सरकार द्वारा की जा रही है। यह एक सराहनीय कदम है। विकास पुरुष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस यूनानी महाविद्यालय के लिये प्रधानमंत्री कोष से एक अरब पचास करोड़ पचास लाख पचास हज़ार रुपये की धनराशि अनुदान स्वरूप स्वीकृत की है। प्रधानमंत्री का यह कदम उनकी “सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास” की अमूल्य सोच का प्रत्यक्ष प्रमाण है। पूर्व में भी प्रधानमंत्री ने भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के सर्वांगीण विकास एवं उत्थान के लिये विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन आयुष मंत्रालय तथा भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को प्रदान किये हैं तथा राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी आयुर्वेद व यूनानी पद्धति के प्रचार प्रसार के लिये ठोस प्रयत्न किये हैं। इसी क्रम में गत दिनों प्रधानमंत्री ने यूनानी विद्वानों (हकीम अब्दुल अज़ीज़ आदि) पर स्मृति डाक टिकट जारी कर न केवल यह कि इन यूनानी विद्वानों के कार्यों को उचित सम्मान देकर सराहा, बल्कि इस कार्य के द्वारा उन्होंने यूनानी चिकित्सा पद्धति में अपना एवं अपनी सरकार का भरोसा व विश्वास भी व्यक्त किया।
विदित हो अब से पहले उ.प्र. में केवल दो ही राजकीय यूनानी विद्यालय हैं। एक तकमीलुत्तिब कालेज, लखनऊ दूसरा राजकीय यूनानी मेडिकल कालेज, इलाहाबाद। यह दोनों ही कालेज पहले प्राइवेट संस्था के तौर पर काम कर रहे थे, जिन्हें बाद में सरकार ने टेकआवर किया। कॉलेज की स्थापना में आयुष मंत्री धर्मसिंह सैनी के प्रयासों और उ.प्र. यूनानी निदेषालय के निदेशक सिकन्दर हयात सिद्दीक़ी के प्रयत्नों का विशेष योगदान रहा।
डा0 अनवर सईद सदस्य, भारतीय केन्द्रीय चिकित्सा परिषद, नई दिल्ली तथा सचिव जामिया तिब्बिया देवबन्द ने इस समाचार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान की केन्द्रीय सरकार तथा उ.प्र. सरकार हर प्रकार के निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर भारतीय ज्ञान-विज्ञान की हर धारा को रचनात्मक सहयोग एवं संरक्षण देकर हर अमूल्य भारतीय धरोहर का न केवल संरक्षण कर रही है अपितु उसे राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर उसका उचित स्थान भी दे रही है। इसी क्रम में आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन देने एवं उसके प्रचार व प्रसार के लिये अनेकानेक कदम केन्द्रीय सरकार एवं उ.प्र. सरकार ने केन्द्रीय आयुष मंत्रालय एवं उ.प्र. आयुष मंत्रालय के द्वारा उठाये हैं।
डा0 अनवर सईद विगत वर्षों में उ.प्र. भारतीय चिकित्सा पद्धति बोर्ड के चैयरमेन पद पर पदासीन रह चुके हैं। इसी सन्दर्भ में उन्होंने बरेली में यूनानी कालेज की स्थापना एवं उसके लिये प्रधानमंत्री कोष से दिये जाने वाले अनुदान पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री उ.प्र. का हार्दिक आभार व्यक्त किया तथा उ.प्र. आयुष मंत्रालय के मंत्री धर्मसिंह सैनी का भी आभार प्रकट किया एवं उन्होंने बधाई भी दी कि उन्होंने उ.प्र. में एक राजकीय यूनानी कालेज की स्थापना के लिये अपने अथक प्रयत्नों को इस स्वप्न को साकार किया। उ.प्र. यूनानी निदेषालय के निदेशक श्री डा0 सिकन्दर हयात को भी डा0 अनवर सईद ने बधाई देते हुए कहा कि इस स्थापना से निदेषालय के रचनात्मक कार्यों पर भी प्रकाश पड़ता है और निदेशक महोदय इसके लिये बधाई के पात्र हैं।
डा0 अनवर सईद ने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में भी केन्द्रीय सरकार तथा उ.प्र. सरकार तथा इनके अधीन आने वाले आयुष मंत्रालय व निदेषालय अपनी इस रचानात्मकता को यथावत बनाये रखेंगे अपितु भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के विकास के लिये उनके प्रचार व प्रसार के लिये अपना हर सम्भव सहयोग देंगे तथा इन पद्धतियों को वर्तमान में जिन कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है उनके निवारण का भी रास्ता हमारी केन्द्रीय एवं उ.प्र.सरकार प्रदर्षित करती रहेगी।