कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए ‘गोडसे भक्त’ बाबूलाल चौरसिया
भोपाल । महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को लेकर भाजपा को घेरने वाली कांग्रेस खुद इस मुद्दे पर घिरती दिखाई दे रही है। पार्टी ने खुद एक ‘गोडसे भक्त’ का स्वागत किया है। ग्वालियर में बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में बाबूलाल चौरसिया कांग्रेस में शामिल हुए। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार बाबूलाल चौरसिया 2017 में ग्वालियर में नाथूराम गोडसे की मूर्ति की स्थापना के लिए एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होंने खुद को जन्मजात कांग्रेसी बताया है।
बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने पर पार्टी के नेता मानक अग्रवाल ने कमलनाथ का बचाव किया है। उन्होंने कहा है कि गोडसे की पूजा करने वालों को कांग्रेस में शामिल नहीं करवाना चाहिए। हम इसके सख्त खिलाफ हैं। कमलनाथ जानकारी में सारी चीजें नहीं होंगी। इसलिए उन्होंने पार्टी में शामिल करा दिया, इसका विरोध किया जाएगा।
मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं- बाबूलाल चौरसिया
कांग्रेस में शामिल होने पर बाबूलाल चौरसिया का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि वे जन्मजात कांग्रेसी हैं। हिन्दू महासभा ने उन्हें अंधेरे में रखकर गोडसे की पूजा कराई थी। पिछले 2-3 साल से वे इनके इस तरह के कार्यक्रम से दूरी बनाकर चल रहे थे। उनके मन में हिन्दू महासभा की विचारधारा समाहित नहीं हो सकी। चौरसिया ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीता था। अगले चुनाव में उनका टिकट किसी और को दे दिया गया। वह उस समय दिल्ली में थे और वहां के हिंदू महासभा प्रमुख ने उन्हें अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए कहा। उन्होंने तुरंत दिल्ली में ही नामांकन दाखिल किया। कांग्रेस में शामिल होने के बाद, उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ गए हैं।
हिंदू महासभा ने साजिश रची
गोडसे को लेकर हिंदू महासभा पर कांग्रेस लगातार हमलावर रहती है। 15 नवंबर, 2017 को महासभा ने अपने कार्यालय में गोडसे की एक मूर्ति स्थापित की थी और इसे एक ‘मंदिर’ में बदलने की कोशिश की। चौरसिया उस आयोजन में मौजूद थे। इसे लेकर उन्होंने आरोप लगाया कि हिंदू महासभा ने उनके खिलाफ रची। वे इस कार्यक्रम में शामिल थे और उन्होंने मुझे हॉल के चारों ओर महान हस्तियों की तस्वीरों सामने प्रार्थना करने के लिए कहा। अनजाने में उन्होंने गोडसे की मूर्ति जल अर्पित कर दिया। उन्हें फंसाया गया। वे दिखाना चाहते थे कि कांग्रेस का एक पूर्व सदस्य गोडसे का समर्थन कर रहा है। जब उन्हें इसका एहसास हुआ तो उन्होंने कड़ा विरोध किया।उन्होंने कहा कि वह इस घटना के बाद से खुद को हिंदू महासभा के कार्यक्रमों से दूर रख रहे थे। हालांकि 11 दिसंबर, 2018 को आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में चौरसिया को यह कहते हुए सुना गया कि उन्होंने गोडसे से बहुत कुछ सीखा है।
यह भी पढे >>इतिहास रचने से एक कदम दूर राष्ट्रपति बाइडन, अपनी ही पार्टी ने खड़ी की बाधाएं, (24city.news)