सहारनपुर: घोड़ी में ग्लैंडर्स की पुष्टि, विभाग में हड़कंप, चिकित्सकों की टीम ने कराया यूथनेशिया

देश भर में जहां कोरोनावायरस का खौफ है वहीं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक व्यक्ति की पालतु घोड़ी को ग्लैंडर्स की पुष्टि होने से विभाग में हड़कंप मच गया। चिकित्सकों की टीम ने गांव में पहुंच कर रोग ग्रस्त घोड़ी का यूथनेशिया (मर्सी किलिंग) किया।

जिले के बड़गांव क्षेत्र के गांव झबीरण में एक घोड़ी में ग्लैंडर्स की पुष्टि हुई है। पशु चिकित्साधिकारी डा. प्रमोद कुमार सैनी ने बताया कि इसी साल 27 जनवरी को क्षेत्र से बीस सैंपल लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए थे। इनकी रिपोर्ट 22 फरवरी को आई थी। इसमें झबीरण गांव निवासी ऋषिपाल पुत्र जयसिंह की घोड़ी में ग्लैंडर बीमारी की पुष्टि हुई थी। इसके बाद जिलाधिकारी से अनुमति लेकर सोमवार को पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा मौके पर पहुंच कर घोड़ी का यूथनेशिया किया।

इस मौके पर टीम में डा प्रमोद कुमार सैनी, डा मनीष वर्मा, धीरज शर्मा, पशुधन प्रसार अधिकारी कुशलपाल सिंह आदि शामिल रहे। प्रधान नाथीराम, सतेन्द्र कुमार, मिट्ठू, जोगेन्द्र, हर्षित, रोहित सहित काफी संख्या में ग्रामीण भी मौजूद रहे।

क्या है ग्लैंडर की बीमारी
ग्लैंडर बरखेलडेरिया मेलिआई जीवाणु जनित रोग है। घोड़ों के बाद मनुष्यों, स्तनधारी पशुओं में पहुंचता है। यह रोग नोटिफाइएबल है तथा जेनेटिक रोगों की श्रेणी रखा गया। संक्रमण, नाक, मुंह के म्यूकोसल सरफेस और सांस से होता है। मैलिन नाम के टेस्ट से बीमारी को कन्फर्म किया जाता है। घोड़े, खच्चर, गधों के शरीर की गांठों में इंफेक्शन और पस बन जाती है। इससे जानवर उठ नहीं पाता और शरीर में सूजन आ जाता है।

बीमारी से पीड़ित होने पर मौत निश्चित है। इस रोग की जांच राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार द्वारा की जाती है। यह जानलेवा बीमारी मनुष्यों पर भी प्रभाव डालती है। यह बीमारी घोषित होने पर विभाग द्वारा जिलाधिकारी से अनुमति लेकर रोग ग्रस्त घोड़ी को टीम के द्वारा इंजेक्शन देकर मार दिया जाता है जिसे यूथनेशिया कहा जाता है। प्रभावित पशु पालक को विभाग द्वारा 25 हजार रुपये की धनराशि का मुआवजा भी दिया जाता है। -डा. प्रमोद कुमार सैनी, पशु चिकित्साधिकारी बड़गांव