पशुओं की घातक व लाइलाज बीमारी है ग्लैंडर व फारसी

- सहारनपुर में विकास भवन में आयोजित प्रशिक्षण शिविर को सम्बोधित करता वक्ता।
सहारनपुर [24CN]। पशुपालन विभाग के तत्वावधान में आयोजित एकदिवसीय मंडल स्तरीय ग्लैंडर व फारसी प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा बीमारी को फैलने से रोकने के प्रति जागरूक किया गया।
विकास भवन के सभागार में आयोजित मंडल स्तरीय ग्लैंडर व फारसी प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बु्रक्स के पशु चिकित्सक डा. सन्नी जोशी ने बताया कि ग्लैंडर व फारसी ऐसी बीमारी है जिसमें अश्व प्रजाति के पशु घोड़ा, खच्चर, गधा आदि ग्रसित होते हैं। इस बीमारी से ग्रसित होने वाले पशुओं के नाम से गाढ़ा रिसाव आता है तथा पूरे शरीर पर फफोले हो जाते हैं जिसमें से लगतार मवाद रिसता रहता है।
उन्होंने बताया कि यह एक घातक व लाइलाज बीमारी होती है जो अन्य पशुओं के साथ-साथ मनुष्य को भी हो सकता है। इसलिए इससे बचाव बहुत जरूरी है। इस बीमारी की जानकारी हासिल करने के लिए घोड़ों के खून के सैम्पल एकत्र किए जाते हैं तथा किसी पशु के संक्रमित पाए जाने पर उसे मार दिया जाता है जिसका मुआवजा अश्वपालक को 25 हजार रूपए तथा गधा व खच्चर पालक को 16 हजार रूपए दिए जाते हैं। डा. सन्नी ने घोड़ों की पेट दर्द से सम्बंधित कौलिक के प्रकार होने के कारण व निवारण के बारे में भी जानकारी देते हुए कौलिक बीमारी अश्वों में होने वाली घातक बीमारी है जिसका यदि ध्यान न दिया जाए तो अश्वों की मौत भी हो जाती है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी विजय कुमार ने कहा कि जिन अश्वों में संक्रमण की पुष्टि हो जाए तो उनकी आवाजाही जिला प्रशासन के सहयोग से पूर्ण रूप से प्रतिबंधित की जाए ताकि ग्लैंडर बीमारी को फैलने से रोका जा सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर निदेशक पशुपालन डा. अनंत सोलंकी ने की। इस दौरान मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. राजीव सक्सेना, संयुक्त निदेशक डा. आनंद तोमर, नोडल अधिकारी डा. मुकेश गुप्ता आदि मौजूद रहे।