एकीकृत थिएटर कमान की नींव रख गए जनरल रावत, उत्तराधिकारी पर होगी बड़ी जिम्मेदारी
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नई दिल्ली ।देश की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर दुश्मन की गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही भारतीय सेना के लिए चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की मौत एक बड़ा झटका है। तीनों सेनाओं के बीच गहरे समन्वय और सामंजस्य को संस्थागत रूप देने के बड़े काम को आगे बढ़ा रहे जनरल रावत का लक्ष्य कम समय में भारतीय सेनाओं को आधुनिक युद्ध की चुनौतियों के लिए पूरी तरह से तैयार करना था। पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के इलाके में सीमा पर चीन की चालबाजी और जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के आतंकवाद के छद्म युद्ध की दोहरी चुनौतियों को लेकर हमेशा मुखर रहे जनरल रावत की असमय मौत के बाद उनके अगले उत्तराधिकारी के सामने सेना के एकीकृत थियेटर कमान की प्रणाली को यथाशीघ्र हकीकत में बदलने की बड़ी चुनौती होगी।
बनाया गया खास विभाग:
जनरल रावत की एकीकृत थियेटर कमान की परिकल्पना को मूर्त रूप लेने में अभी वक्त लगेगा, मगर इस दिशा में उनकी पहल का ही नतीजा रहा है कि सरकार ने सीडीएस के मातहत रक्षा महकमे में एक सैन्य मामलों का विभाग बनाकर तीनों सेनाओं के मामले को उसके अधीन कर दिया और यह समन्वय की दिशा में एक बड़ा कदम है।
पीएम ने दी थी जिम्मेदारी:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनरल रावत को ही तीनों सेनाओं को एकीकृत कमान में लाने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को अमल में लाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। सीडीएस के तौर पर अपने दो साल के कार्यकाल में उन्होंने तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बनाने के लिए संस्थागत ढांचा विकसित करने से लेकर व्यावहारिक अमल कराने की दिशा में तेजी से काम किया। जनरल रावत ने पहला बड़ा कदम हथियारों और सैन्य उपकरणों की खरीद में समन्वय की दिशा में उठाया। हाल के सौदों में इस बात का ध्यान रखा गया है कि सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए हो रही हथियारों की खरीद में एक दूसरे के संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल किया जा सके।
नए सीडीएस पर जल्द लेना होगा निर्णय:
सीडीएस के पद को लंबे समय तक खाली नहीं रखा जा सकता। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही रक्षा मंत्रालय से जुड़ी उच्च समिति जनरल रावत की जगह नए सीडीएस की नियुक्ति को लेकर निर्णय करेगी। इस बात की संभावना है कि तीनों सेनाओं के प्रमुखों में से ही अगला सीडीएस चुना जाए।