गैंगेस्टर लॉरेंस बिश्नोई के कोर्ट में दर्ज हुए बयान, कहा- पुलिस ने फर्जी कार्रवाई करके फंसाया, मैं जेल में था, धमका नहीं सकता
जोधपुर: गैंगेस्टर लॉरेंस बिश्नोई के कोर्ट में बयान दर्ज हुए हैं। बिश्नोई इस समय साबरमती जेल में बंद है। इसलिए साबरमती जेल से ही ये बयान दर्ज किए गए हैं। मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 7 हर्षित हाड़ा की कोर्ट में बिश्नोई के बयान हुए। बिश्नोई ने कोर्ट के सभी सवालों के जवाब दिए और पूरे प्रकरण को झूठा बताया।
लॉरेंस ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
लॉरेंस बिश्नोई ने पुलिस पर फर्जी कार्रवाई कर फंसाने के आरोप लगाए हैं। बिश्नोई ने कहा, ‘मैं जेल में बंद था। ऐसे में मोबाइल पर धमकाना संभव नहीं है।’ बता दें कि ये मामला ट्रेवल्स व्यवसायी मनीष जैन से रंगदारी वसूली का है। मनीष जैन के ऑफिस में फायरिंग का प्रयास किया गया था लेकिन रिवाल्वर में गोली फंस जाने के कारण फायरिंग नहीं हुई थी।
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला साल 2017 का है। दरअसल 4 मार्च 2017 को ट्रैवल व्यवसायी मनीष जैन के ऑफिस में दो युवक आए थे और उन्होंने फायरिंग का प्रयास किया था लेकिन रिवाल्वर में गोली फंस जाने के कारण फायरिंग नहीं हुई थी। इसके बाद मनीष जैन ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई और उसने बताया कि उसके पास इंटरनेट कॉल आया और उसे बताया गया कि वह लॉरेंस बिश्नोई है और यदि उसने रंगदारी नहीं दी तो उसे जान से मार दिया जाएगा।
इस मामले में आज कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान लॉरेंस साबरमती जेल से वीसी के जरिए कोर्ट में पेश हुआ और उसने कोर्ट के सभी सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वह पिछले 11 सालों से जेल में है। ऐसे में जेल से किसी को फोन पर धमकाना संभव ही नहीं। उसने कहा कि पुलिस ने उस पर दबाव बनाने के लिए और उसे डराने के लिए उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज किया है। उसने उसके ऊपर लगे तमाम आरोप झूठे बताए हैं।
लॉरेंस के वकील संजय बिश्नोई ने क्या बताया?
लॉरेंस बिश्नोई के वकील संजय बिश्नोई ने बताया, ‘जैन ट्रैवल्स के ऑफिस में कोई 2 लोग घुसे थे। बंदूक दिखाकर धमकाने और रंगदारी का केस था। उसमें मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 7 हर्षित हाड़ा की कोर्ट में उनके (लॉरेंस) मुल्जिम बयान होने थे। मुल्जिम बयान वीसी साबरमती जेल से रिकॉर्ड किए गए। मुल्जिम द्वारा हर प्रश्न का उत्तर दिया गया था। जिसमें उससे पूछा गया था कि क्या उसने मनीष जैन को मोबाइल के जरिए धमकी दी थी तो उसके द्वारा मना किया गया और बताया गया कि वह पिछले 11 सालों से न्यायिक अभिरक्षा यानी जेल में है। घटना के दिन से पहले भी जेल में था और बाद में भी जेल में था। उसके द्वारा फोन करके धमकाना असंभव था।’
संजय बिश्नोई ने बताया, ‘ये बातें लॉरेंस ने कोर्ट के सामने रखीं और अपने मुल्जिम बयान दर्ज कराए। लॉरेंस के द्वारा ये बताया गया कि पुलिस के द्वारा ये फर्जी कार्रवाई की गई है और जब उसके द्वारा इस फर्जी कार्रवाई में शामिल होने से मना किया गया तो उसके भाई को भी अवैध रूप से इस प्रकरण में शामिल किया गया और उस पर दबाव बनाया गया।’