नमक से लेकर जहाज तक! हर घर में TATA, ऐसे बना 365 अरब डॉलर का साम्राज्य, रतन टाटा ने मजदूरों की तरह की मेहनत
नई दिल्ली: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा अब इस दुनिया में नहीं हैं। 86 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार थे। आज टाटा ग्रुप का कुल मार्केट कैप 365 अरब डॉलर है, लेकिन यह सफलता बिना कठिन परिश्रम के हासिल नहीं हुई। इस विराट कारोबार की नींव रतन टाटा ने अपने जुनून और कड़ी मेहनत से रखी, जैसा कि एक मजदूर करता है।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता नवल टाटा और मां सूनी टाटा का 1948 में तलाक हो गया, जिसके बाद उनकी परवरिश उनकी दादी ने की।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से शिक्षा प्राप्त की
रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई और शिमला में की और बाद में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके साथ ही उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद वे अमेरिका में नौकरी करना चाहते थे, लेकिन दादी की तबीयत खराब होने के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा। उन्होंने भारत में आईबीएम में काम शुरू किया। जब टाटा ग्रुप के चेयरमैन जेआरडी टाटा को इस बात की जानकारी हुई, तो उन्होंने रतन टाटा से टाटा ग्रुप में काम करने का आग्रह किया। इस प्रकार, रतन टाटा ने एक सामान्य कर्मचारी के रूप में टाटा ग्रुप में अपना करियर शुरू किया।
टाटा स्टील में मज़दूरों के साथ काम
अपने करियर की शुरुआत में, रतन टाटा ने टाटा स्टील प्लांट में मजदूरों के साथ काम किया। वहां उन्होंने चूना-पत्थर को भट्टियों में डालने जैसा कठिन काम किया, जो आमतौर पर मजदूर करते थे। यह उनके दृढ़ निश्चय और समर्पण का प्रमाण था। 1991 में, उन्हें टाटा ग्रुप का चेयरमैन नियुक्त किया गया, और अगले 21 वर्षों तक उन्होंने समूह का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल के दौरान, टाटा ग्रुप ने जगुआर लैंड रोवर जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स का अधिग्रहण किया और वैश्विक पहचान बनाई।
हर घर में टाटा की पहचान
रतन टाटा की दूरदर्शिता और मेहनत के कारण, आज भारत के हर घर में टाटा का कोई न कोई उत्पाद इस्तेमाल हो रहा है। नमक से लेकर हवाई जहाज तक, टाटा का व्यापार हर क्षेत्र में फैला हुआ है। उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पादों का उपयोग समाज के सभी वर्गों द्वारा किया जाता है—चाहे वह उच्च वर्ग हो या निम्न वर्ग। रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में टाटा ग्रुप को ऐसी ऊंचाइयों पर पहुंचाया, जहां से यह न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
उनकी मेहनत और दूरदर्शिता ने टाटा समूह को 365 अरब डॉलर के साम्राज्य में बदल दिया, और उनका यह योगदान हमेशा याद किया जाएगा।