राष्ट्रीय ध्वज फहराने में भारतीय झंडा संहिता का करें पालन-मंडलायुक्त
सहारनपुर, दिनांक 22 फरवरी, 2025 (सू0वि0)। मण्डलायुक्त श्री अटल कुमार राय ने कहा कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और सबके मन में राष्ट्रीय ध्वज के लिए प्रेम, आदर और निष्ठा है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है।
श्री अटल कुमार राय ने भारतीय झंडा संहिता, 2002 में निहित मुख्य दिशा निर्देश बताते हुए कहा कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण, प्रयोग, संप्रदर्शन, राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा नियंत्रित है। भारतीय झंडा संहिता, 2002 में निहित दिशा-निर्देश के अनुसार भारतीय झंडा संहिता 2002 को 30 दिसम्बर 2021 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया और पॉलिएस्टर के कपडे से बने एवं मशीन द्वारा निर्मित राष्ट्रीय ध्वज की अनुमति दी गई। अब व्यवस्था है कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते गए और हाथ से बुने हुए या मशीन द्वारा निर्मित सूती, पॉलिएस्टर, ऊनी, सिल्क, खादी के कपडे से बनाया गया हो।
मण्डलायुक्त ने बताया कि जनता का कोई भी व्यक्ति, कोई भी गैर-सरकारी संगठन और कोई भी शिक्षा संस्था राष्ट्रीय झंडे को सभी दिनों और अवसरों, औपचारिकताओं या अन्य अवसरों पर फहरा, प्रदर्शित कर सकता है, बशर्ते राष्ट्रीय झंडे की मर्यादा और सम्मान का ध्यान रखा जाए। भारतीय झंडा संहिता 2002 को 20 जुलाई 2022 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया एवं भारतीय झंडा संहिता के भाग दो के पैरा 2.2 की धारा 11 के अनुसार जहाँ झंडे का प्रदर्शन खुले में किया जाता है या जनता के किसी व्यक्ति द्वारा घर पर प्रदर्शित किया जाता है वहां उसे दिन एवं रात में फहराया जा सकता है। राष्ट्रीय झंडे का आकार आयताकार होगा। यह किसी भी आकार का हो सकता है परन्तु झंडे की लम्बाई और चौडाई का अनुपात 3ः2 होगा।
जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाए तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए। फटा हुआ और मैला-कुचैला झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाए। झंडे को किसी अन्य झंडे अथवा झंडों के साथ एक ही ध्वज-दंड से नहीं फहराया जाए। संहिता के भाग 3 की धारा 9 में उल्लिखित गणमान्यों जैसे राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि के सिवाय झंडे को किसी वाहन पर नहीं फहराया जाएगा। किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊँचा या उससे ऊपर या उसके बराबर में नहीं लगाना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 और भारतीय झंडा संहिता 2002 गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.gov.in पर उपलब्ध है।