बुखार ने मचाया कोहराम , टाबर में एक माह मे तीन दर्जन से अधिक मौते
- नगर मे प्रमुख व्यवसायी की मौत, नीची नकुड मे भी युवक ने दम तोडा
नकुड 22 सितबंर इंद्रेश। नकुड में बुखार के कहर ने दहशत का रूप ले लिया है। बुखार से हो रही मौते कोरोना के समय की याद दिला रही है। टाबर में रहस्यमय ढंग से एक माह मे ही तीन दर्जन से अधिक लोगो की मौत होने की खबर ने पैरो तले से जमीन खिसका दी है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की कार्यक्षमता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिये है। बुखार के बढते केस के आगे स्वास्थ्य विभाग असहाय नजर आ रहा है।
टाबर निवासी रामू , कंवरपाल शर्मा आदि ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बुखार का कहर दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है। विगत एक माह में गांव में तीन दर्जन से अधिक लोग मौत की नंीद सो गये है। गांव में बुखार का खौफ व्याप्त है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मात्र औपचारिकता पूरी कर रहे है। गांव में ब्लड सेंपल लेकर जांच कराने या गांव में फैली बिमारियों पर रोक लगाने का कोई प्रयास नंही किया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि एक माह के अंदर पचपन वर्षीय लेख सिंह फौजी, महेंद्रसिंह, कंवरपाल पुत्र रघुवीर, संतोष पत्नी दीपक कुमार,सत्यपाल शर्मा पुत्र छज्जु शर्मा, सागर पुत्र देवी दयाल, राजकली पत्नी नकलीराम, सरोज पत्नी धर्मपाल, पितंबर धीमान, हिमांशु पुत्र रकमंचद, अरविंद कुमार , शंभु व शिमला सहित दर्जनो लोग काल के गाल मे समा चुके है। सागर तो महज 22 वर्ष की उम्र में बुखार का शिकार बन गया। जबकि हिमांशु की उम्र महज 19 वर्ष थी जबकि अरविंद मात्र 23 वर्ष की उम्र मे काल का शिकार हो गया।
ग्रामीणो का दावा है कि गांव में अभी भी सैंकडो की संख्या मे लोग बुखार से पिडित है। कुछ दिन पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी गांव में गये थे। वंहा वे गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर बैठ गये। गांव में पिडितो को अस्तपाल मे आने की घोषणा करवाकर उन्होने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। जबकि गंभीर रूप से पिडित लोग अपने हायर सेंटर मे इलाज करवा रहे है। जिसकी जानकारी स्वास्थ्य अधिकारियो को भी थी। घरो से पानी के संेपल , पिडितो के ब्लड सेंपल लेने से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी परहेज करते रहे।
इसके अलावा गांव मे अभियान चलाकर गांव में बिमारी की जांच कर उसका नियमित निराकरण के प्रयास क्यों नहीं किये ? इस सवाल का जवाब किसी के पास नंही है। अलबत्ता अधिकारी गांव मे हो रही मौतो को बुखार से न होने की बात को सिद्ध करने के लिये पुरा जोर लगा रहे है। यदि उनकी बात को भी सही मान लिया जाये तो मात्र एक माह में 6 हजार की आबादी वाले गांव मे इतनी अधिक टरेजडी होना क्या असामान्य नंही है। मौते क्यांे हो रही है इसके प्रति स्वास्थ्य वि भाग की कोई जवाबदेही नंही ? इन सवालो पर सभी अधिकारी खामौश है।
सीएचसी प्रभारी डा0 अमन गोपाल ने कहा अन्य बिमारियो से हो रही है मौते
सीएचसी प्रभारी डा0 अमन गोपाल ने कहा कि टाबर मे अधिकांश मौते अन्य बिमारियो की वजहो से हो रही है। हालंाकि गांव में बुखार की बात वे मानते है। कहा कि बुखार तो हैं पंरतु मौत अन्य कारणो से हो रही है।
नकुड में प्रमुख व्यवसायी की मौत
उधर नकुड नगर में बुखार से पिडित रहे प्रमुख व्यवसायी नरेद्र सिंघल की गुरूवार को मौत हो गयी। जिससे पूरे कस्बा सदमे मे है। नरेंद्र विगत दस पंदरह दिनो से बिमार थे। उनका पहले स्थानीय स्तर पर इलाज चला। आराम न मिलने पर इलाज के लिये देहेरादून ले जाया गया। जंहा गुरूवार को उन्होने दम तोड दिया। इसके अलावा सरूरपुर तगा में भी तेईस वर्षीय युवक अरूण सैनी की भी बुखार से मौत हो गयी। अरूण भी कई दिनो से बुखार से पिडित था। आराम न होने पर परिजन उसे इलाज के लिये चंडीगढ ले गये जंहा उसकी मौत हो गयी।
उधर इससे पूर्व बीस सितंबर को मौहल्ला बंजारान मे साठ वर्षीय राजा की भी बुखार से मौत हो गयी । राजा को कई दिनों से बुखार चल रहा था। हालत कोरोना से भी भंयकर है। पंरतु स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नंीद शायद अभी नंही टूटी। सीएचसी मे मरीजो की भीड लगी है। विभिन्न गांवो मे फैले बुखार लडने की इच्छा शक्ति विभागीय अधिकारियो मे कंही दिखायी नंही देती।
सीएमओ ने कहा
जनपद के सीएमओ डा0 संजीव मांगलिक ने माना कि जनपद मे बुखार का कहर व्याप्त है। कहा कि स्वास्थय विभाग बुखार से निपटने के हर संभव प्रयास कर रहा है। जंहा भी सूचना मिलती है वंहा स्पेशल टीम भेज कर मरीजों की जांच कराकर उन्हे दवाऐ दी जा रही है। टाबर मे पहले भी विभाग ने एक केंप लगाया था। अब फिर वंहा स्पेशल टीम भ्ेाजकर जांच करायी जायेगी।